भाजपा का मानना है कि भविष्य में देश में एनआरसी होनी चाहिए: सुधांशु त्रिवेदी

भोपाल, तीन जनवरी (भाषा) भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी का मानना है कि भविष्य में देश में राष्ट्रीय नागिरक पंजी (एनआरसी) होनी चाहिए। एनआरसी पर पूछे गये एक सवाल पर त्रिवेदी ने यहां कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट (उच्चतम न्यायालय) के आदेश के बाद असम में एनआरसी हुई और उस आदेश को आप पढ़ लीजिए। उस पर एनआरसी की आवश्यकता मानी गई है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा यह मानना है कि भविष्य में (देश में) एनआरसी होनी चाहिए। लेकिन अभी तक एनआरसी का कोई मूलभूत ड्राफ्ट ही नहीं है, तो विवाद का कोई प्रश्न ही नहीं उठता। क्योंकि जब एनआरसी आये तो आप कहिए, मुझे अमुख पंक्ति पर आपत्ति है, अमुख क्लॉज पर आपत्ति है तो उस तरीके से उस पर विचार होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोग पूछते हैं कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) की जरूरत क्या थी? सवाल करने वालों को यह समझना चाहिए कि भारत एक वैश्विक महाशक्ति है, क्षेत्रीय महाशक्ति है। एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य होने के नाते हमारा यह कर्तव्य है कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में जहां-जहां, जो-जो लोग धार्मिक प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं, उन्हें संरक्षण दिया जाए।’’ त्रिवेदी ने कहा, ‘‘सीएए हमारे संविधान की भावना की अभिव्यक्ति है और यह हमारे क्षेत्र की मजहबी हुकूमतों को लोकतांत्रिक भारत का जवाब है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सीएए के विरोध में जिस तरह की हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़ और राष्ट्रीय मर्यादा को तार-तार करने वाले काम हो रहे हैं, वह खेदजनक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं, उनमें तीन तरह के लोग शामिल हैं। पहले, वे राजनीतिक दल जो सत्ता से बाहर हो चुके हैं और किसी भी कीमत पर फिर सत्ता में वापसी चाहते हैं, चाहे इसके लिए कुछ भी अनैतिक क्यों न करना पड़े। दूसरे, वे राष्ट्रविरोधी और हिंसक ताकतें जो विदेशों से संचालित होती हैं। ये हिंसा का कोई मौका नहीं छोड़ते…तीसरे, ऐसे नेता हैं जो मोदी विरोध की ईर्ष्या में जल रहे हैं। कोई भी बात हो, उन्हें तो मोदी जी का विरोध करना ही है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विरोध करने वाले कहते हैं कि मुहाजिरों को, अहमदिया को, शियाओं को नागरिकता क्यों नहीं दी जा रही है?’’ त्रिवेदी ने कहा, ‘‘हमने ये कभी नहीं कहा कि मुस्लिमों को नागरिकता नहीं देंगे। गृहमंत्री स्पष्ट कर चुके हैं कि पिछले पांच सालों में हमने पड़ोसी देशों के 566 मुस्लिमों को देश की नागरिकता दी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सीएए के विरोधी उन मुस्लिमों को नागरिकता देने की बात कर रहे हैं, जिन्होंने महात्मा गांधी की विभाजन न होने देने की बात को नकार कर पाकिस्तान बनाया और देश को हिंसा की आग में झोंक दिया था। यह स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की आत्मा पर सबसे बड़ा आघात है।’’ त्रिवेदी ने कहा कि यह पहला मौका नहीं है, जब पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों के बारे में सोचा गया हो। देश के विभाजन के बाद सितम्बर, 1947 में महात्मा गांधी ने कहा था कि जो हिंदू, सिख, पाकिस्तान से आना चाहते हैं, इन्हें शरण देना ही नहीं बल्कि उनकी आजीविका का प्रबंध और उन्हें जीवन स्तर सुधारने का अवसर देना भारत सरकार का प्रथम कर्तव्य है।

Source: Madhyapradesh

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