‘बिहान’ केंटीन पहुंचकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री सिंहदेव ने लिया छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का स्वाद


स्वसहायता समूह की महिलाओं ने 5 महीनों में ही बेचे

26.88 लाख की खाद्य सामग्री

इंद्रावती भवन में 40 विभागों के कार्मिकों को खिला रही हैं खाना और नाश्ता

रायपुर. पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव ने गुरूवार को इंद्रावती भवन के ‘बिहान’ केंटीन पहुंचकर छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का लुत्फ लिया। उन्होंने यहां फरा, चीला, ठेठरी, खुरमी और साबुदाना बड़ा का स्वाद लिया। श्री सिंहदेव ‘बिहान’ केंटीन संचालित करने वाली स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाए गए छत्तीसगढ़ी व्यंजनों को खाकर इनके मुरीद हो गए। उन्होंने महिलाओं से इन व्यजंनों को बनाने में आने वाली लागत और उनसे होने वाले मुनाफे के बारे में पूछा। उन्होंने महिलाओं की हौसला अफजाई भी की।श्री सिंहदेव ने केंटीन की व्यवस्था को और सुदृढ़ करने तथा आमदनी बढ़ाने के लिए भी महिलाओं को प्रेरित किया। उनके साथ पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री आर.पी. मंडल और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के संचालक श्री अभिजीत सिंह ने भी यहां छत्तीसगढ़ी व्यजंनों का आनंद लिया। उल्लेखनीय है कि इस केंटीन का संचालन राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत गठित बिहान ग्राम संगठन रसनी द्वारा किया जा रहा है। रायपुर जिले के आरंग विकासखंड के रसनी, बिरबिरा और लखोली गांव की 35 महिलाएं केंटीन की तमाम व्यवस्थाएं संभाल रही हैं। संगठन की महिलाओं ने इस वर्ष 9 अप्रैल को इसकी शुरुआत की थी।केंटीन के लिए राशन एवं सब्जी खरीदने से लेकर, खाद्य सामग्री तैयार करने, साफ-सफाई, हिसाब-किताब और ग्राहकों से नगद लेन-देन तक की तमाम जिम्मेदारियां संगठन की महिलाएं बखूबी निभा रही हैं। स्थानीय स्वसहायता समूह की महिलाएं पिछले 5 महीनों से ‘बिहान’ केंटीन संचालित कर रही हैं। उन्होंने इस दौरान 26 लाख 88 हजार रूपए की खाद्य सामग्री बेची है। सभी लागत निकालने के बाद संगठन ने 7 लाख 27 हजार रूपए की बचत की है। समूह की महिलाएं मानदेय के रूप में हर महीने 6 हजार रूपया कमा रही हैं।इंद्रावती भवन में करीब 40 विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों को ये महिलाएं खाना, नाश्ता, चाय, लस्सी, मठा तथा खान-पान की अन्य सामग्री उपलब्ध करा रही हैं। इनके द्वारा तैयार स्वादिष्ट छत्तीसगढ़ी व्यंजन मुठिया, फरा, चीला, चौसेला, गुलगुल भजिया, ठेठरी, खुरमी, साबुदाना बड़ा, पपची और अनरसा यहां खासा लोकप्रिय है। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के साथ ही वे समोसा, आलू चाप, मंगौड़ी, पराठा, पोहा, भजिया, आलू पराठा, खीर, पूड़ी, इडली, सांभर-बड़ा, दाल, चावल, रोटी और सब्जी भी बनाती हैं।

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