वाराणसी में खुद का रेस्तरां चलाएंगी एसिड अटैक पीड़िताएं, नाम है 'ऑरेंज कैफे'

विकास पाठक,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देश का पहला ऐसा पहला ऐसा रेस्‍तरां खुलने जा रहा है जिसकी मालकिन एसिड अटैक पीड़िताएं होंगी। इसे ‘ऑरेंज कैफे’ नाम दिया गया है। प्रसिद्व मानस मंदिर के सामने इस रेस्तरां की शुरुआत वसंत पंचमी के दिन 30 जनवरी को होगी।

कई शहरों में इस तरह के रेस्तरां में जाएं तो खाना बनाने से लेकर परोसने तक का काम वह लड़कियां करती दिखेंगी जो एसिड अटैक की शिकार रही हैं। पर, बनारस में खुलने वाला अनूठा ऑरेंज कैफे कई मायने में अलग होगा। यहां यह पीड़िताएं खुद इसकी मालकिन होंगी। जौनपुर की रेखा देवी, बरेली की सोमवती, रायबरेली की विमला देवी और वाराणसी की बादाम देवी अपने पैरों पर खड़ा होने का जज्‍बा लिए इस रेस्तरां को खोलने के लिए खुद आगे आई हैं।

सामाजिक संस्थाओं ने दिया सहयोग
एसिड अटैक पीड़िताओं को साथ मिला है सामाजिक संस्‍था ‘रेड बिग्रेड’ के संस्‍थापक अजय कुमार पटेल और सामाजिक संस्‍था ‘एक्‍शन ऐड’ का। संस्‍थाओं ने रेस्तरां के लिए किराए की जगह लेने से लेकर डेकोरेशन कराने और चलाने के लिए जरूरी सामान आदि उपलब्‍ध कराने का जिम्‍मा संभाला है। शुरू में चार महीन तक संस्‍थाएं निजी खर्चे के लिए पीड़िताओं को कुछ धनराशि भी देंगी। इसके बाद इसकी इनकम से होने वाली प्रॉफिट चारों महिलाओं के हिस्‍से में आएगी।

मालिक होने के साथ काम भी करेंगी
ऑरेंज कैफे की मालकिन बनने के साथ-साथ ये यहां कई काम खुद ही करेंगी। इसके लिए इन्‍हें बनारस के ही एक रेस्तरां में इसका प्रशिक्षण दिलवाया गया है। इनके रहने के लिए अलग मकान किराए पर लिया गया है। 38 साल की बादामी देवी कहती हैं कि नए ढंग का काम है, लेकिन वह इसे चुनौती के रूप में ले रही हैं।

सूबे में 300 से ज्‍यादा पीड़िताएं
सामाजिक संस्‍था रेड बिग्रेड के संस्‍थापक बनारस के रहने वाले अजय कुमार पटेल ने बताया कि वे दो साल से उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में तेजाब पीडि़त महिलाओं को खोजने में लगे हैं। अब तक तीन सौ से ज्‍यादा महिलाओं को ढूंढ निकाला है। इनमें से 29 ऐसी लड़कियां और महिलाएं हैं जो अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हैं। इन्‍हीं में से रेखा, विमला देवी और सोमवती ने अपना शहर व घर-परिवार छोड़ बनारस में रहकर काम करने की हामी भरी है। इसके बाद अजय पटेल ने ‘ऑरेंज कैफे’ की रूपरेखा तैयार की। आने वाले समय में बाकी पीड़िताओं के लिए भी दूसरे शहरों में ऐसा रेस्तरां खोलने का प्‍लान है।

भतीजे ने दिया दर्द
तेजाब से झुलसी वाराणसी के पहड़िया इलाके की रहने वाली बादामी देवी को किसी और ने नहीं बल्कि अपने भतीजे ने ही जीवन भर का दर्द दिया है। तेजाब से चेहरा बुरी तरह झुलसने के साथ एक आंख की रोशनी भी चली गई।

लुटेरों ने चेहरा बिगाड़ा
जौनपुर की रहने वाली 35 साल की रेखा देवी पर 2015 में घर में घुस आए लुटरों ने तेजाब डाली थी। कई बार सर्जरी के बाद भी चेहरा पूरी तरह ठीक नहीं हो सका है। आर्थिक तंगी के चलते इलाज नहीं हो पा रहा है।

पड़ोसी ने फेंकी तेजाब
बरेली की 19 साल की विमला देवी पर पुरानी रंजिश में पड़ोसी ने ही तेजाब डाल दी थी। चेहरा बुरी तरह झुलस जाने से उसके सपने चकनाचूर हो गए। अब वह परिवार पर बोझ बनने की बजाए कुछ कर दिखाना चाहती है।

तीन बार तेजाब डाला
रायबरेली की 35 साल की विमला देवी पर बीते पांच साल में दबंगों ने तीन बार तेजाब फेंका। हर बार वह मौत से लड़कर अस्‍पताल से बाहर आ गईं। अब उन्होंने अपने पैरों पर खड़ा होकर दबंगों के खिलाफ लड़ने का मन बनाया है।

Source: International

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