इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कैंसर से जूझ रहे सेवानिवृत्त पुलिस कॉन्स्टेबल को उसकी ग्रैच्युटी, जीपीएफ और पेंशन आदि सभी परिलाभों का भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि याची के खिलाफ लंबित मुकदमे में उसे सजा होती है तो विभाग को उससे वसूली करने की छूट होगी। याची के खिलाफ दर्ज मुकदमे का रेकॉर्ड लंबे समय से लापता है। जिसकी वजह से उसके मुकदमे का निस्तारण नहीं हो पा रहा है।
कोर्ट ने कहा कि मुकदमा निस्तारित ना होने के आधार पर याची के सेवानिवृत्ति परिलाभों को अनिश्चितकाल तक के लिए नहीं रोके जा सकते हैं। कॉन्स्टेबल उदय वीर सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी ने दिया है। याची के अधिवक्ता का कहना था कि, याची को पुलिस अभिरक्षा में अभियुक्तों के फरार हो जाने के कारण उसके खिलाफ हरी पर्वत थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था। याची के खिलाफ विभागीय कार्यवाही भी हुई और उसे सेंसर एंट्री दी गई। इस दौरान मुकदमे में चार्जशीट दाखिल कर दी गई। मगर उस पर कोई फैसला होने से पहले यह याची सेवानिवृत्त हो गया।
वकील ने कहा कि मुकदमे की सुनवाई लंबित है और उसके रेकॉर्ड नहीं मिल रहे हैं। इसके बावजूद विभाग याची के सेवानिवृत्ति परिलाभ ग्रैच्युटी, पेंशन और फंड आदि का भुगतान नहीं कर रहा है। कोर्ट ने इस मामले में सरकारी वकील से जवाब मांगा था। जिस पर उन्होंने बताया कि याची के खिलाफ दर्ज मुकदमे में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। मगर याची का कहना था कि 2005 में चार्जशीट दाखिल होने के बाद से उसे ना तो कोई सम्मन मिला है और ना ही किसी प्रकार का नोटिस प्राप्त हुआ है। याची कैंसर से जूझ रहा है और भुगतान रोके जाने से उसे इलाज कराने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट ने याची के सभी सेवानिवृत्ति परिलाभों का तत्काल भुगतान करने का निर्देश दिया है।
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