निर्भया केस: दिल्ली सरकार पर क्यों भड़के जज

अभिनव गर्ग, नई दिल्ली2018 में दिल्ली सरकार ने जेल मैन्युअल में संशोधन किया। निर्भया के चारों दोषी इस संशोधित नियम की आड़ लेकर अपनी फांसी लगातार टलवा रहे हैं। चारों को फांसी पर लटकाने की नई तारीख 1 फरवरी तय हुई है। पूरी आशंका है कि उस दिन भी इन्हें फांसी नहीं दी जा सकेगी। यही वजह है कि दिल्ली हाई कोर्ट के जजों ने खीझकर दिल्ली सरकार को खूब खरी-खोटी सुनाई।

नियम बनाते समय दिमाग नहीं लगाया: जज
जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संगीता धींगड़ा सहगल की पीठ ने आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को कहा, ‘अगर आप तब तक ऐक्शन नहीं ले सकते जब तक कि सभी दोषियों ने दायर नहीं कर दी हो तो आपका कानून खराब है। ऐसा लगता है कि (नियम बनाते वक्त) दिमाग का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं किया गया। हर दया याचिका अलग-अलग आधार पर दायर की जाती है। आप आखिरी न्यायिक फैसले का इस तरह मजाक नहीं बना सकते।’ कोर्ट ने दिल्ली सरकार के साथ-साथ जेल अथॉरिटीज को भी फटकार लगाई। जजों ने इस बात पर दुख जताया कि ऐसा सिस्टम बनाया गया जो ‘कैंसर से जूझ रहा है’ और जो ‘रणनीति के तहत’ फांसी टालने के लिए दोषियों को ‘कानून के दुरुपयोग करने’ का मौका देता है।

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क्या कहता है संशोधित जेल मैन्युअल
दरअसल, जेल मैन्युअल का रूल 854 कहता है कि एक केस में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई हो तो तब तक उनमें से किसी को फांसी पर नहीं चढ़ाया जा सकता है, जब तक कि हरेक दोषी की अपील सुप्रीम कोर्ट से खारिज न हो जाए। यही नियम दिल्ली की जेलों में बंद सजायाफ्ता मुजरिमों पर लागू होता है। इसमें कहा गया है कि अगर एक केस में एक से ज्यादा दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई हो और उनमें सिर्फ एक दया याचिका दायर करता है तो उसकी याचिका पर फैसला आने तक सभी दोषियों की फांसी टाल दी जाएगी।

तीन दोषी दे सकते हैं दया याचिका
निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के एक दोषी मुकेश सिंह (32) की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को खारिज कर दी। हालांकि, अक्षय ठाकुर (31), पवन गुप्ता (25) और विनय शर्मा (26) के पास दया याचिका दायर करने का विकल्प बचा हुआ है। ऐसे में पटियाला हाउस कोर्ट से जारी 1 फरवरी का नया डेथ वॉरंट भी आशंका के बादल मंडरा रहे हैं।

आप सरकार का कोर्ट में बयान
आप सरकार ने बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट से कहा था कि पटियाला हाउस कोर्ट से जारी पहले डेथ वॉरंट के मुताबिक 22 जनवरी को दोषियों को फांसी पर नहीं लटकया जा सकता है क्योंकि दिल्ली प्रिजन मैन्युअल कहता है कि दया याचिका खारिज होने के 14 दिन बाद ही फांसी दी जा सकती है। दिल्ली सरकार ने आशंका भी जताई थी कि दोषी न्यायिक प्रक्रिया को टालने के लिए एक-एक कर राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर कर सकते हैं। अगर सबकी दया याचिका खारिज भी हो जाती है तो भी उन्हें चार हर बार 14-14 दिन का अतिरिक्त वक्त मिल जाएगा। निर्भया के माता-पिता ने भी इसी तरह की आशंका जताई। उन्होंने कहा, ‘इस देश में महिलाओं के लिए न्याय पाना बेहद कठिन जान पड़ता है।’

निर्भया की मां का आप सरकार पर लेटलतीफी का आरोप
निर्भया की मां ने भी दिल्ली सरकार पर लेटलतीफी का आरोप लगाया। उन्होंने कहा ‘जब 2012 में घटना हुई तो इन्हीं लोगों ने हाथ में तिरंगा लिया, काली पट्टी बांधी और महिलाओं की सुरक्षा के लिए खूब रैलियां की और खूब नारे लगाए, लेकिन आज यही लोग उस बच्ची की मौत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। कोई कह रहा है कि आपने रोक दिया, कोई कह रहा है कि हमें पुलिस दे दीजिए, मैं दो दिन में दिखाऊंगा। मैं अब जरूर कहना चाहूंगी कि ये अपने फायदा के लिए उनकी फांसी को रोके हैं और हमें इस बीच में मोहरा बनाया।’

बीजेपी का दिल्ली सरकार पर हमला
बीजेपी ने भी दोषियों को फांसी देने में देरी के लिए आप सरकार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इस मामले में मौत की सजा के खिलाफ दोषियों की याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2017 में खारिज किए जाने के ढाई साल बाद भी दिल्ली सरकार ने उन लोगों को नोटिस नहीं भेजा। पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक हफ्ते के अंदर सभी दोषियों को अगर आप सरकार ने नोटिस दे दिया होता तो अब तक उन्हें फांसी हो चुकी होती और देश को इंसाफ मिल चुका होता।

उधर, केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता स्मृति इरानी ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि जहां सारा देश निर्भया को जल्दी न्याय दिलाने के पक्ष में लामबंद हुआ है, वहीं पिछले पांच साल में केजरीवाल सरकार की तरफ से कई बार न्यायालय में इस मामले पर टालमटोल की गई। उन्होंने कहा कि जेल विभाग दिल्ली सरकार के तहत आता है और सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2018 में निर्भया के आरोपियों की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी, मगर उसके बाद लंबे समय तक जेल प्रशासन और फिर केजरीवाल सरकार खुद भी मामले को दबाए बैठी रही। स्मृति ने यह सवाल भी उठाया कि क्या कारण है कि जिस नाबालिग पर सबसे अधिक बर्बरता करने का आरोप लगा था, उसकी रिहाई पर आम आदमी पार्टी की सरकार ने उसे 10 हजार रुपए दिए और सिलाई मशीन दी।

आरोपों पर सीएम अरविंद केजरीवाल का जवाब
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली सरकार के अधीन सभी काम हमने घंटों के अंद पूरे कर दिए। हमने इस मामले से संबंधित किसी भी कार्य में देरी नहीं की। हम चाहते हैं कि दोषियों को जल्द से जल्द फांसी दी जाए।’ उन्होंने निर्भया परिजनों की ओर से लगाए जा रहे आरोपों पर कहा, ‘समझ का कुछ अभाव हो सकता है या फिर ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें भ्रमित किया जा रहा हो।’

हालांकि, केजरीवाल की इस टिप्पणी को लेकर निर्भया की मां ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, ‘यह बिल्कुल गलत है कि उन्होंने समय पर काम किया, 7 साल हो गए घटना हुए, 2.5 साल हो गए सुप्रीम कोर्ट से फैसला आए। 18 महीने हो गए रिव्यू पिटिशन खारिज हुए, जो काम जेल को, सरकार को करना चाहिए था, वह काम हमने किया।’

Source: National

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