प्रयागराज
इलाहाबाद ने एक पर हस्तक्षेप से इनकार करते हुए कहा है कि को बनाने का निर्देश देना कोर्ट का काम नहीं है। कोर्ट ने सरकार को जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर कहा कि कोर्ट के पास विधायी शक्तियां नहीं है। इसलिए कोर्ट सरकार को कोई कानून बनाने का आदेश नहीं दे सकती।
इलाहाबाद ने एक पर हस्तक्षेप से इनकार करते हुए कहा है कि को बनाने का निर्देश देना कोर्ट का काम नहीं है। कोर्ट ने सरकार को जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर कहा कि कोर्ट के पास विधायी शक्तियां नहीं है। इसलिए कोर्ट सरकार को कोई कानून बनाने का आदेश नहीं दे सकती।
यह आदेश चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर तथा जस्टिस विवेक वर्मा की खंडपीठ ने वाराणसी के सामाजिक कार्यकर्ता नित्यानंद चौबे की जनहित याचिका को खारिज करते हुए दिया है। याचिका पर भारत सरकार की अधिवक्ता आराधना चौहान ने प्रतिवाद किया। उनका कहना था कि राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 के तहत मां और बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा रहा है। परिवार नियोजन ऐक्षिक है। पति और पत्नी परिवार नियोजन करने के लिये अपनी मर्जी से निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है। उनपर किसी प्रकार का दबाव नही है।
हालांकि विधि आयोग ने अनुच्छेद 47-ए के तहत जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की शिफारिश की है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को कानून बनाने का आदेश देने का कोर्ट समादेश जारी नहीं कर सकती।
Source: International