मध्य प्रदेश की सियासत में 'कृष्ण', 'शूर्पणखा' और 'शकुनी' की एंट्री, गरमाया माहौल

भोपालमध्य प्रदेश की सियासत में पौराणिक पात्र , द्रौपदी, शूर्पणखा और शकुनी मामा की एंट्री हो गई है। यहां नेता एक-दूसरे पर इन्हीं पात्रों का नाम लेकर हमला बोल रहे हैं। राज्य के राजगढ़ जिले के ब्यावरा में ने पिछले दिनों नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के समर्थन में रैली का आयोजन किया। इस रैली में शामिल कार्यकर्ताओं और प्रशासन के नुमाइंदों में धक्का-मुक्की हुई और कलेक्टर निधि निवेदिता ने एक कार्यकर्ता को थप्पड़ भी जड़ दिया।

इसे बीजेपी ने मुद्दा बनाया और ब्यावरा में प्रदर्शन किया। बीजेपी ने ब्यावरा में जिलाधिकारी और अन्य पर मामला दर्ज करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया, मगर इस दौरान दिए गए बयानों ने सियासत को दूसरा ही रंग दे दिया है। पूर्व मंत्री बद्री लाल यादव द्वारा जिलाधिकारी निधि निवेदिता को लेकर दिए गए अमर्यादित बयान के चलते चौतरफा हमले हो रहे हैं, तो पार्टी को सफाई देनी पड़ रही है।

‘जड़ तो भोपाल, दिल्ली में बैठे हैं’
इतना ही नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी व अनुविभागीय अधिकारी को अहंकारी बता डाला। पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने रामायण काल का जिक्र करते हुए कहा, ‘जड़ तो भोपाल, दिल्ली में बैठे हैं, जैसे रावण लंका में बैठते थे और ताड़का, मारीच, सुबाहु यह सब अलग-अलग जगह घूमकर लोगों को तंग करते थे। ऐसा ही अब हो रहा है।’

बौखलाई ने शिवराज को शकुनी बताया
शिवराज का बयान आते ही कांग्रेस हमलावर हो गई। जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री चौहान की तुलना महाभारत के पात्र ‘शकुनी मामा’ से कर डाली और मुख्यमंत्री को कृष्ण बताया। शर्मा ने कहा, ‘राज्य में कानून व्यवस्था में लगे अधिकारियों के पीछे मुख्यमंत्री कमल नाथ कृष्ण बनकर खड़े रहेंगे और मदद के लिए आगे आएंगे। राजगढ़ में महिला अधिकारियों पर एक के बाद एक जो अपशब्द कहे गए, ऐसे लगता है मानो शकुनी मामा की मौजूदगी में दुर्योधन के इशारे पर दुशासन ने शब्दों के माध्यम से महिला अधिकारियों का चीरहरण किया है।’

कैलाश विजयवर्गीय ने वायरस का किया जिक्र
शिवराज के बयान पर मामला गरमाता देख पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सफाई दी। उनका कहना है कि शूर्पणखा आदि किसी व्यक्ति को लेकर नहीं कहा गया है, मगर यह बात सही है कि राजगढ़ में जिलाधिकारी और एसडीएम ने जो आचरण किया, वह निंदनीय है। बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने बुधवार को कहा था कि जेएनयू के वायरस राजगढ़ तक पहुंच गए हैं।

विजयवर्गीय ने कहा था, ‘मुझे पता चला है कि जेएनयू के वायरस यहां पर आ गए। ये वायरस यहां तक आ गए, मुझे जानकारी हुई कि यहां की जिलाधिकारी महोदया उसी कॉलेज की पढ़ी हुई हैं। यहां हाथ में तिरंगा उठाने वाले कार्यकर्ताओं का अपमान इसी वजह से हुआ है।’

कौरवों से बीजेपी नेताओं की तुलना
वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने बीजेपी नेताओं की तुलना कौरवों से की। उन्होंने कहा, ‘भारत की धरा पर कौरवों का भी घमंड नहीं टिका था, बीजेपी नेताओं का वर्तमान में कृत्य कौरवों जैसा है, नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव द्वारा महिला अफसरों को वेश्या की संज्ञा दिया जाना, फिर पूर्व मंत्री द्वारा राजगढ़ में महिला अधिकारी पर अभद्र टिप्पणी किया जाना ठीक दुश्शसन के कृत्य समान है, प्रदेश की जनता ऐसे लोगों को जवाब देगी।’

इस पूरे मामले पर सियासी विश्लषकों का कहना है कि वर्तमान दौर में बीजेपी मध्य प्रदेश में राजनीति संकट के दौर से गुजर रही है, इसलिए इन नेताओं की जुबान पर किसी का नियंत्रण नहीं है। यह राजनीति का सबसे विकृत रूप है। पार्टी की नीतियां बताने, सरकार की उपलब्धियां या खामियां गिनाने की बजाय नेता एक-दूसरे पर ओछी टिप्पणी करने में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं, क्योंकि उनमें सिर्फ मनभेद ही नहीं, सब तरह के भेद जो हैं।

बयानों से बीजेपी को कितना फायदा-नुकसान?
इससे ऐसा लगता है कि बड़े नेताओं का इन्हें संरक्षण हासिल होता है, तभी तो गलतबयानी करने वालों पर कार्रवाई की जगह उनका बचाव किया जाता है। बहरहाल, राजगढ़ की जिलाधिकारी को लेकर आई बीजेपी नेताओं की टिप्पणी ने राज्य की सियासत की दिशा ही मोड़ दी है। बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस ने तो मोर्चा संभाला ही रखा है, ताजा घटना के बाद सरकारी मशीनरी खुलकर बीजेपी के खिलाफ खड़ी नजर आने लगी है।

Source: Madhyapradesh

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *