यूपी में हिंसा: हाई कोर्ट ने सरकार से मांगी डिटेल, मृतकों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी तलब

प्रयागराज
देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू होने के बाद यूपी के कई शहरों में हुई हिंसा को लेकर दाखिल सभी याचिकाओं पर सोमवार को में एक साथ सुनवाई हुई। कोर्ट ने यूपी सरकार से मृतकों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के साथ ही पुलिसकर्मियों की मेडिकल ट्रीटमेंट की भी जानकारी तलब की है।

याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से हलफनामे के साथ जवाब दाखिल किया गया। राज्य सरकार की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे पर कोर्ट पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिखी। चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कई बिन्दुओं पर राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि, सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा को लेकर कितनी शिकायतें प्रदर्शनकारियों की ओर से अब तक की गई हैं और कितनी शिकायतों पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है।

‘मृतकों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, पुलिस की ट्रीटमेंट की जानकारी दें’
कोर्ट ने यह भी पूछा है कि, प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए की गई कार्रवाई में कितने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की गई है। कोर्ट ने हिंसा में मारे गए 23 प्रदर्शनकारियों की मौत के मामले में दर्ज एफआईआर और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी तलब कर ली है। कोर्ट ने राज्य सरकार से घायलों की मेडिकल रिपोर्ट और हिंसा में घायल पुलिसकर्मियों का भी ब्यौरा मांगा है। कोर्ट ने मृतकों के परिजन को पीएम रिपोर्ट देने का निर्देश सरकार को दिया है।

हिंसा के वक्त धारा 144 लगने की प्रक्रिया की जानकारी मांगी
इसके साथ ही कोर्ट ने उस वक्त प्रदेश में धारा 144 लगाए जाने की पूरी प्रक्रिया की भी जानकारी मांगी है। याचिकाओं में मीडिया रिपोर्ट के हवाले से पुलिस की बर्बरता का आरोप लगाया गया है। जिस पर राज्य सरकार की ओर से सभी मीडिया रिपोर्ट को नकारते हुए झूठा बताया गया। कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि, आखिर कोर्ट यह कैसे मान सकती है कि सभी मीडिया रिपोर्ट झूठी हैं और सरकार ही सच बोल रही है। अब इन सभी अर्जियों पर अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।

हाई कोर्ट में मुंबई के वकील अजय कुमार के ईमेल पर कायम पीआईएल और पीएफआई संगठन की ओर से दाखिल की गई याचिका समेत कुल 14 अर्जियों पर हाई कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इन याचिकाओं में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए सीएए के विरोध को लेकर हुई हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की गई है।

(रिपोर्टर की इनपुट के साथ)

Source: International

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