वीएचपी का दावा- राम मंदिर ट्रस्ट के गठन के लिए सुप्रीम कोर्ट से और समय ले सकती है सरकार

अयोध्या
के गठन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 3 महीने का समय दिया है जिसकी मियाद 9 फरवरी को पूरी हो रही है। एक तरफ जहां देश के संत-धर्माचार्य और आम जनता ट्रस्ट की घोषणा का इंतजार कर रही है। तो वहीं दूसरी तरफ विश्व हिंदू परिषद () को कोई जल्दीबाजी नहीं है। संगठन के रणनीतिकार अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय के मुताबिक, 9 फरवरी के बाद भी ट्रस्ट की घोषणा हो सकती है। इसके लिए सरकार न्यायालय से एक्सटेंशन ले सकती है।

चंपत राय ने पीएम नरेंद्र मोदी पर विश्वास जताते हुए कहा, ‘वह जो करेंगे ठीक करेंगे। 70 सालों से लोगों ने जो सोचा नहीं था, उन कामों को उन्होंने किया।’ उन्होंने कहा, ‘संगठन कभी अपने मिशन में फेल नहीं हुआ है। हम जल्दबाजी नहीं करते हैं। एक-एक कदम से सोच विचार कर आगे बढ़ रहे हैं। हर कार्य का काल निश्चित है।’

पीएम रामलला का दर्शन करने आएं यह जरूरी नहीं
राम मंदिर फैसला आने के बाद पीएम मोदी को राम लला का दर्शन करना चाहिए कि नहीं, इस पर चंपत राय ने कहा, ‘पीएम के पास बहुत काम है। दुनिया के हर काम में पीएम आए यह जरूरी है। उनको केवल यह ध्यान रखना चाहिए कि दुनिया के अंदर भारत का मस्तक कैसे ऊंचा उठे।’ उन्होंने कहा इस सरकार से सारा हिंदुस्तान खुश है। दुखी वे हैं जिनका रौब खत्म हो गया है। सीएए का समर्थन देशभक्त लोग कर रहे हैं।

अवध प्रांत की दो दिवसीय बैठक खत्म
इस बार वीएचपी देश के 2 लाख 75 हजार गांवों में 25 मार्च से 8 अप्रैल तक श्रीराम महोत्सव का आयोजन करेगी। अवध प्रांत में यह लगभग 6 हजार से अधिक गांवों और मोहल्लों मे आयोजित करने की तैयारी है। अवध प्रांत की दो दिवसीय योजना बैठक के समापन पर संगठन के अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने पदाधिकारियों से युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू करने को कहा।

उन्होंने कहा, ‘8 नंवबर 1889 मे श्रीराम जन्मभूमि निर्माण के लिए देश के 2 लाख 75 हजार गांवों मे श्रीराम शिलापूजन के कार्यक्रम किए गए थे। इस बार वीएचपी और संत-धर्माचार्यों ने उन सभी स्थानों पर 25 मार्च से 8 अप्रैल तक श्रीराम महोत्सव मनाने का निर्णय लिया है।’ वीएचपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री अंबरीश ने बताया कि महोत्सव में श्रीरामचरित्र मानसपाठ,शोभा यात्राएं, साधु-संतों के प्रवचन भगवान श्रीराम की मूर्ती या चित्रों की स्थापना करके वैदिक रीति- रिवाज के अनुसार पूजन-अर्चन किया जाएगा।

Source: International

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