बोडो संगठनों के 1615 कैडरों ने किया समर्पण

गुवाहाटी
केंद्र और राज्य से त्रिस्तरीय समझौते के बाद आज बोडो संगठन के 1,615 कैडर ने गुवाहाटी में आत्मसमर्पण किया। बोडो कैडरों के समर्पण का ऐलान गृहमंत्री अमित शाह ने समझौते के ऐलान वाले दिन ही किया था। 27 जनवरी को केंद्र और राज्य के साथ बोडो संगठनों के त्रिस्तरीय समझौता हुआ है। गृहमंत्री ने इस समझौते को असम और उत्तर पूर्व में शांति और स्थिरता के लिए ऐतिहासिक करार दिया है।

बोडो आंदोलनकारियों का समर्पण पहले से तय था
बोडो समुदाय के साथ त्रिपक्षीय समझौते को पूर्वोत्तर के विकास और स्थिरता के लिए गृहमंत्री ने ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा था, ‘नैशनल डेमोक्रैटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड के साथ हुए समझौते के तहत 1550 कैडर अपने 130 हथियारों के साथ समर्पण करेंगे। मैं बतौर गृहमंत्री आपको यकीन दिलाना चाहता हूं कि आपकी सभी चिंताओं का समाधान किया जाएगा। बोडो समुदाय से किए वादों को तय समय में पूरा किया जाएगा।’

समझौते को शाह ने असम एकता के लिए बताया ऐतिहासिक
बता दें कि बोडोलैंड आंदोलन लंबे समय से अपने लिए अलग राज्य की मांग करता रहा है। इस समझौते का ऐलान करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि असम के विभाजन की सभी संभावनाएं आज शून्य हो गई हैं। उन्होंने कहा, ‘आज संगठित असम के विकास के राह पर चलने का ऐतिहासिक दिन है। बोडो समुदाय की विशिष्ट पहचान और भाषा के संरक्षण के लिए सभी उपाय किए जाएंगे।’

अन्य समुदायों के हित की रक्षा के लिए फैसला: PM
पीएम नरेंद्र मोदी ने इस फैसले के बाद अपने ट्वीट में लिखा, ‘बोडो साथियों के साथ समझौता असम के अन्य समुदायों के हितों की रक्षा करते हुए किया गया है। इसमें सभी की जीत हुई है, मानवता की जीत हुई है। ये जीत और उसके लिए हुए प्रयास सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के मंत्र से प्रेरित हैं, एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना से प्रेरित हैं।’

पढ़ें : क्‍या है बोडो विवाद, 2823 लोगों की गई जान
करीब करीब 50 साल पहले असम के बोडो बहुल इलाकों में अलग राज्‍य बनाए जाने को लेकर हिंसात्‍मक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्‍व एनडीएफबी ने किया। यह विरोध इतना बढ़ गया कि केंद्र सरकार ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून, 1967 के तहत एनडीएफबी को गैरकानूनी घोषित कर दिया। बोडो उग्रवादियों पर हिंसा, जबरन उगाही और हत्‍या का आरोप है। 2823 लोग इस हिंसा की भेंट चढ़ चुके हैं।

पढ़ें :

बोडो आंदोलनकारियों की अलग बोडोलैंड की थी मांग
बोडो असम का सबसे बड़ा आदिवासी समुदाय है, जो राज्‍य की कुल जनसंख्‍या का 5 से 6 प्रतिशत है। यही नहीं, लंबे समय तक असम के बड़े हिस्‍से पर बोडो आदिवासियों का न‍ियंत्रण रहा है। असम के चार जिलों कोकराझार, बाक्‍सा, उदालगुरी और चिरांग को मिलाकर बोडो टेरिटोरिअल एरिया डिस्ट्रिक्ट का गठन किया गया है। इन जिलों में कई अन्‍य जातीय समूह भी रहते हैं। बोडो लोगों ने वर्ष 1966-67 में राजनीतिक समूह प्‍लेन्‍स ट्राइबल काउंसिल ऑफ असम के बैनर तले अलग राज्‍य बोडोलैंड बनाए जाने की मांग की थी।

Source: National

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *