डिफेंस बजट: आखिर कैसे होगा मॉर्डनाइजेशन?

नई दिल्ली
पिछले साल के मुकाबले में मामूली बढ़ोतरी की गई है। अगर महंगाई दर भी जोड़ दी जाए तो यह बढ़ोतरी और भी कम हो जाती है। सेना को उम्मीद के मुताबिक बजट नहीं मिला है और ऐसे में सेना का मॉडर्नाइजेशन प्लान ठंडे बस्ते में जा सकता है।

डिफेंस बजट 3.37 लाख करोड़ रुपये का है इसमें 1.34 लाख करोड़ का डिफेंस पेंशन शामिल नहीं है। पेंशन मिलाकर डिफेंस के लिए इस बार 4.71 लाख करोड़ रुपये अलॉट किए गए हैं। पिछले साल 4.31लाख करोड़ का बजट दिया गया था। पिछले साल के संशोधित अनुमान में बजट 3.31 लाख करोड़ रुपये था और उस हिसाब से अभी बजट में महज 1.8 पर्सेंट की ही बढ़ोतरी की गई है। सेना के आधुनिकीकरण के लिए हाल ही में कई टेंडर साइन किए गए हैं और कई पर काम चल रहा है। इस लिहाज से डिफेंस को मिला बजट आधुनिकीकरण की जरूरत पूरी नहीं करता।

बजट स्पीच में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह तो कहा कि नैशनल सिक्यॉरिटी इस सरकार की टॉप प्राथमिकता है लेकिन वित्त मंत्री की दो घंटे से भी ज्यादा लंबी स्पीच में डिफेंस के लिए आवंटन का कोई जिक्र नहीं किया गया। पेंशन के लिए दी गई रकम को छोड़ दिया जाए तो इस बार डिफेंस बजट देश की जीडीपी का 1.5 पर्सेंट है। जबकि डिफेंस एक्सपर्ट चीन और पाकिस्तान से मुकाबले के लिए जीडीपी का कम से कम 2.5 पर्सेंट बजट की जरूरी बताते रहे हैं।

इंडियन एयरफोर्स को 1.13 लाख करोड़ के डिफेंस बजट (पेंशन को छोड़कर) में से 38 पर्सेंट मिला है जो करीब 43281 करोड़ रुपए है। जबकि पिछले बार ही संशोधित बजट अनुमान में यह इससे ज्यादा यानी 44869 करोड़ रुपये था। पिछले साल इंडियन एयरफोर्स ने 36 रफाल फाइट जेट, अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम, और चिनूक हेवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर सहित करीब 47000 करोड़ रुपये की डील साइन की हैं। जबकि एयरफोर्स को मिला बजट इससे भी कम है।

डिफेंस मिनिस्ट्री ने फाइनैंस कमिशन को प्रस्ताव दिया है कि डिफेंस से जुड़ी खरीद के लिए नॉन लेप्सेबल फंड बनाया जाए क्योंकि संभावित खतरों से निपटने के लिए पूरी तैयारी की जरूरत है। मिनिस्ट्री ने सेना के मॉर्डनाइजेशन के लिए स्पेशल सेस लगाने, टैक्स फ्री डिफेंस बॉन्ड जारी करने की भी मांग की थी। इस पर फाइनैंस कमिशन ने कहा कि वह एक्सपर्ट ग्रुप बनाकर देखेंगे कि क्या नॉन लैप्सेबल फंड बनाया जा सकता है।

Source: National

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