प्रदेश में मुगलों की आखिरी निशानी के रूप में मौजूद कस्बे मुगलसराय का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर करने की दिशा में यह स्मारक बड़ा कदम होगा। इसके पहले मुगलसराय जंक्शन का नाम पांच अगस्त 2018 को केंद्रीय रेलमंत्री पीयूष गोयल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन करने के साथ इस स्मारक की आधारशिला रखी थी। मुगलसराय नगर का पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर पहले ही प्रदेश सरकार कर चुकी है। मुगलसराय रेल मंडल का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय मंडल भी इसी साल जनवरी में कर दिया गया।
पड़ाव की पहचान बनेगा पंडित दीनदयाल के जिंदगी का आखिरी पड़ावपंडित दीनदयाल उपाध्यास की जिंदगी के आखिरी पड़ाव का रिश्ता पड़ाव इलाके में रहा है। 11 फरवरी 1968 को मुगलराय रेलवे स्टेशन के प्लैटफार्म संख्या एक के पश्चिमी छोर पर एक पोल (संख्या 673/1276) के पास पंडित दीनदयाल उपाध्याय का शव रहस्यमय परिस्थितियों में पाया गया था। केंद्र के साथ प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने के बाद मुगलसराय का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय करने के साथ इस दिशा में यह स्मारक तैयार हुआ है। इस स्मारक में प्रतिमा के साथ संग्रहालय,प्रदर्शनी, कुंड का निर्माण किया गया है। संग्रहालय में पंडित दीनदयाल के आदर्श व सिद्धांत के साथ कुंड में रंगीन लाइटों के साथ फव्वारा भी लगेगा।
साढ़े छह करोड़ रुपए की लागत से जयपुर से आई है कांस्य प्रतिमापंडित दीनदयाल उपाध्याय की 63 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा पर साढ़े छह करोड़ रुपए की लागत आई है। राजस्थान के जयपुर से यह विशालकाय प्रतिमा तीन हिस्सों में पहुंचने के बाद अब पीएम के हाथों लोकार्पण के लिए खड़ी हो गई है। जिस पार्क में यह प्रतिमा स्थापित हो रही है उसके दीवारों पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन सिंद्धात और आदर्श वाक्य पढ़ने को मिलेंगे।
Source: International