वरिष्ठ संवाददाता, गाजियाबाद
4 साल के इंतजार के बाद सीएम ने प्रदेश में वन टाइम सेटलमेंट स्कीम को हरी झंडी दे दी है। जिले के 4 हजार से अधिक लोगों को इससे फायदा मिलेगा। इन लोगों ने जीडीए के भूखंड और भवन का किस्तों पर अलॉटमेंट करवाया है, लेकिन समय से किस्त नहीं जमा करवा पाने की वजह से ये सभी डिफॉल्टर हो गए हैं। जीडीए का साधारण ब्याज और चक्रवृद्धि ब्याज इतना अधिक हो जाता है कि वह जितना जमा करवाते थे, कुछ समय बाद फिर उतना ही मूलधन और ब्याज के रूप में खड़ा हो जाता था। ऐसे लोगों को वन टाइम सेटलमेंट स्कीम से काफी फायदा मिल सकता है। क्योंकि इसमें ब्याज से राहत मिल जाती है।
जीडीए वीसी कंचन वर्मा ने बताया कि जीडीए को वन टाइम सेटलमेंट स्कीम से 100 करोड़ रुपये से अधिक आय हो सकती है। पॉलिसी आने के बाद इसकी शर्तों का अध्ययन किया जाएगा। इससे पहले 2000, 2011 और 2016 में भी ओटीएस आई थी। 2016 में आई ओटीएस से जीडीए को करीब 80 करोड़ रुपये का फायदा हुआ था।
400 करोड़ रुपये हैं बकाया : जीडीए के अधिकारियों ने बताया कि डिफॉल्टरों पर करीब 400 करोड़ रुपये बकाया हैं। उन्हें बार-बार नोटिस दिया जाता है, लेकिन वे पैसा नहीं जमा कराते हैं। कई बिल्डरों के निर्माण कार्य भी सील कर दिए गए हैं। इसके बाद भी जीडीए को पैसा नहीं मिल पाया है।
बड़ी संख्या में लोगों को जारी की गई है आरसी : तत्कालीन वीसी और डीएम रितु माहेश्वरी ने पिछले साल 100 से अधिक लोगों को बकाया रकम जमा कराने के लिए आरसी जारी की थी। कुछ लोगों ने पैसा जमा किया, लेकिन अभी भी 77 डिफॉल्टरों ने पैसा जमा नहीं कराया है। इसपर जिला प्रशासन ने एक बार फिर कार्रवाई का मूड बना लिया है। जीडीए से इसके बारे में अपडेट जानकारी मांगी गई है।
सॉफ्टवेयर पर करना होगा अपडेट : जीडीए वीसी कंचन वर्मा ने बताया कि इस बार ओटीएस के लिए जीडीए के अधिकारियों का इन्वॉल्वमेंट नहीं होगा। इस बार सॉफ्टवेयर लॉन्च किया जाएगा। डिफॉल्टर इस वेबसाइट पर जाकर अपने सभी डॉक्यूमेंट अपलोड कर देंगे। अगर वह 50 लाख से नीचे का डिफॉल्टर है तो 4 किस्त कैलकुलेट करके उसे सूचना दे दी जाएगी। अगर वह 50 लाख रुपये से अधिक का डिफॉल्टर है, तो 7 किस्त की गणना करके उसे बता दिया जाएगा। अगर कोई एकमुश्त बकाया रकम जमा करवाता है तो उसे अतिरिक्त 2 फीसदी की छूट मिल जाएगी।
जोन-3 और 6 में सबसे अधिक डिफॉल्टर : जीडीए के अधिकारियों ने बताया कि जोन-3 और जोन-6 में सबसे अधिक डिफॉल्टर हैं। जोन-3 के मधुबन बापूधाम आवासीय योजना में ईडब्ल्यूएस, मल्टीस्टोरी समेत अन्य मामलों के डिफॉल्टर यहां अधिक हैं। इंदिरापुरम एरिया में सबसे अधिक डिफॉल्टर हैं। वहां अलग-अलग खंड में जीडीए की योजनाओं के भवन और भूखंड अलॉट किए गए हैं, लेकिन आवंटियों ने समय से किस्त नहीं जमा करवाई है।
Source: International