VHP की कार्यशाला में योगदान, क्या बोले राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्टी विमलेंद्र मोहन

अयोध्या
प्रधानमंत्री ने मंगलवार को राम मंदिर के निर्माण के लिए ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ के नाम से ट्रस्ट की घोषणा की है। इसमें अयोध्या के राजघराने के को ट्रस्टी बनाया गया है। इन्हें ट्रस्ट के सदस्यों के नामों की घोषणा के बाद ही अयोध्या के अधिगृहीत क्षेत्र के रिसीवर का चार्ज भी कमिश्नर एमपी अग्रवाल ने सौंप दिया। की कड़ी में सीधे जुड़ने वाले मंदिर के नए रिसीवर मिश्र से वीएन दास ने उनकी नई भूमिका पर बातचीत की।

सवाल: मंदिर निर्माण के ट्रस्ट में प्रमुख 9 में ट्रस्टियों में आपको स्थान मिला है, किसे श्रेय देंगे?
जवाब: सारा श्रेय प्रभु राम को ही देंगे। उनकी असीम कृपा पर ही एक ही दिन में मैं अंतरराष्ट्रीय पहचान वाला व्यक्ति हो गया। कभी सोचा नहीं था, जो मुझे मिल गया।

सवाल: इसके लिए क्या प्रयास अपने स्तर पर किया?
जवाब: मैंने कोई प्रयास नहीं किया। मुझे तो पता भी नहीं था कि मेरा नाम श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में शामिल किया जा रहा है। मैं तो किसी से मिला भी नहीं और न ही कोई इच्छा जाहिर की। प्रभु राम की कृपा ही है।

सवाल:
अबतक राम मंदिर के लिए क्या योगदान रहा?

जवाब: मैं भव्य राम मंदिर के निर्माण का सदैव समर्थक रहा। मंदिर के लिए तन-मन-धन से सहयोग की भावना रखकर काम किया। अब इसके निर्माण में भी हर तरह से सहयोग करने के लिए तैयार रहूंगा।

सवाल:
ट्रस्ट की बैठक कब हो रही है, रिसीवर बनने पर अधिगृहीत परिसर की व्यवस्था में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?

जवाब: अभी मैं इसका जवाब देने के लिए अधिकृत नहीं हूं। बैठक की कोई सूचना नहीं मिली है। ट्रस्ट की बैठक में वरिष्ठ जो तय करेंगे, वही होगा।

सवाल:
राम मंदिर निर्माण से सीधे जुड़ने से कैसा अनुभव कर रहे हैं?

जवाब: जो कभी सोचा नहीं, वह अवसर प्रभु श्रीराम ने दे दिया है। जिम्मेदारी जो भी मिलेगी उस पर समर्पण भावना से काम करके खरा उतरने की कोशिश करूंगा।

’10 एकड़ जमीन दी थी’श्री तीर्थ क्षेत्र में अयोध्या के राजघराने के बिमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र को शामिल करने के पीछे कई वजहें हैं। इसका खुलासा करते हुए मंदिर के पक्षकार रहे रामलला के सखा व (वीएचपी) के नेता त्रिलोकीनाथ पांडेय ने बताया कि राज घराने का बड़ा योगदान मंदिर की वीएचपी कार्यशाला में रहा है। मिश्र ने 1994-95 में करीब 10 एकड़ जमीन, जो उनकी माताजी के नाम थी, उसे वीएचपी की राम जन्मभूमि न्यास को मुफ्त में दे दिया गया था, जिसकी कीमत उस समय 96 लाख रुपये की थी। इसी जमीन पर वीएचपी कार्यशाला बनी, जहां तबसे राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने का काम चल रहा है। अब इसकी कीमत करोड़ों में है।

और केंद्र के बीच की कड़ी
त्रिलोकीनाथ पांडेय ने कहा कि वीएचपी के मंदिर आंदोलन के दौरान अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष स्वर्गीय अशोक सिंघल से केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों की वार्ता के बीच विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्र ही कड़ी बनते रहे हैं। उन्होंने मंदिर आंदोलन से लेकर अबतक के कार्यकाल में कभी विरोध न करके सहयोग ही किया। संत महंतों से भी उनका मधुर रिश्ता रहा है। बेशक वह कांग्रेस और बीएसपी जैसे दलों से जुड़े रहे हैं।

Source: International

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