निर्भया केस: तिहाड़ को नहीं मिला नया डेथ वॉरंट

नई दिल्ली
देश को झकझोर कर रख देनेवाले निर्भया मामले के चारों दोषियों को फांसी आखिर कब होगी, यह शुक्रवार को भी साफ नहीं हुआ। दिल्ली स्थित पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी की नई तारीख देने से फिलहाल इनकार कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि जबतक कानूनी उपचार बाकी हैं, तबतक किसी को फांसी पर चढ़ाना पाप है। कोर्ट ने दोषियों को मिले 7 दिनों का भी जिक्र किया। आपको बता दें कि कोर्ट तिहाड़ जेल प्रशासन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें दोषियों के खिलाफ मौत का नया वॉरंट जारी करने की मांग की गई थी। इस पर जारी नोटिस पर दोषियों को आज अदालत के सामने अपना रुख रखना था।

तिहाड़ प्रशासन की ओर से क्या कहा गया
कोर्ट में तिहाड़ जेल के अधिकारियों की ओर से ऐडवोकेट इरफान अहमद पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रपति तीन दोषियों की दया याचिकाओं को खारिज कर चुके हैं और इस समय चारों में से किसी की भी अर्जी, अपील या याचिका किसी भी अदालत के सामने लंबित नहीं है। दोषी पवन की ओर से सुधारात्मक याचिका दायर नहीं की गई है। उसके पास दया याचिका का विकल्प भी है।

…तब तक फांसी पर चढ़ाना पाप: कोर्ट
अदालत ने कहा, ‘जब दोषियों को कानून जीवित रहने की इजाजत देता है, तब उन्हें फांसी पर चढ़ाना पाप है। हाई कोर्ट ने पांच फरवरी को न्याय के हित में दोषियों को इस आदेश के एक सप्ताह के अंदर अपने कानूनी उपचार का इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी।’ जज ने कहा, ‘मैं दोषियों के वकील की इस दलील से सहमत हूं कि महज संदेह और अटकलबाजी के आधार पर मौत के वॉरंट को तामील नहीं किया जा सकता है। इस तरह, यह याचिका खारिज की जाती है। जब भी जरूरी हो तो सरकार उपयुक्त अर्जी देने के लिए स्वतंत्र है।’

निचली अदालत ने 31 जनवरी को इस मामले के चार दोषियों- मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25) , विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार (31) को अगले आदेश तक फांसी पर चढ़ाने से रोक दिया था। ये चारों तिहाड़ जेल में कैद हैं।

सुप्रीम कोर्ट में भी हुई सुनवाई
आपको बता दें कि आज निर्भया केस पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई थी। वहां निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने के पक्ष में केंद्र सरकार की अर्जी पर सुनवाई टल गई। अब इसपर मंगलवार यानी 11 फरवरी को सुनवाई होगी। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर 11 फरवरी को सुनवाई करेगा। उच्च न्यायालय ने चार दोषियों की फांसी पर रोक लगाने के खिलाफ दायर केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया गया था।

न्यायमूर्ति आर भानुमति की अगुआई वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के इस आग्रह को स्वीकार नहीं किया कि केंद्र की याचिका पर चारों दोषियों को नोटिस जारी किया जाए। पीठ ने मेहता को बताया कि वह 11 फरवरी को उनको सुनेगी और विचार करेगी कि दोषियों को नोटिस जारी करने की जरूरत है या नहीं। इस पीठ में न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना भी शामिल थे। सुनवाई की शुरुआत में मेहता ने अदालत को बताया कि मामले में, ‘राष्ट्र के धैर्य की परीक्षा ली जा रही है’ और पीठ को इस मुद्दे पर कानून बनाना होगा।
(
भाषा से इनपुट के साथ)

Source: National

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