कभी सरकारी फाइलों तो कभी किसान आंदोलन के कारण अटके रहे के काम ने रफ्तार पकड़ ली है। 1,144 एकड़ क्षेत्र में बसने वाली इस औद्योगिक एकीकृत टाउनशिप के लिए आधारभूत ढांचा तैयार किया जा रहा है। यूपी राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण () के वरिष्ठ प्रबंधक (सिविल) बीडी यादव के अनुसार, सड़क, पानी, सीवेज और बिजली की लाइनों का काम चल रहा है।
करीब दो दशक पुराना प्रॉजेक्ट
साल 2002-03 में उन्नाव जिले के शुक्लागंज क्षेत्र में कटरी शंकरपुर सराय और आसपास के कई गांवों में विशेष आर्थिक जोन (एसईजेड) बनाने की कोशिशें शुरू हुईं। कानपुर के करीब होने के कारण इस जगह को किसी औद्योगिक टाउनशिप के लिए बिल्कुल सही माना गया। मुआवजे की मांग को लेकर किसानों की लंबे समय तक शासन-प्रशासन से तनातनी चलती रही।
2014 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कैबिनेट के जरिए किसानों को 12.5 लाख रुपये प्रति बीघा मुआवजा देना तय किया। शुरुआत में यह रकम सिर्फ 1.5 लाख रुपये प्रति बीघा थी। आंदोलनों के चलते 2017 से नवंबर-2019 के बीच यहां यूपी औद्योगिक विकास प्राधिकरण (अब यूपीसीडा) काम शुरू नहीं कर सका। पिछले साल नवंबर में किसानों से हिंसक संघर्ष के बाद यह परियोजना दोबारा नजरों में आई और काम तेज हुआ।
आधारभूत ढांचे का विकास
यूपीसीडा के वरिष्ठ प्रबंधक के अनुसार, परियोजना के पहले चरण के लिए सड़कें बनाने का काम चल रहा है। सीवेज, पानी और बिजली की लाइनें भी बिछाई जा रही हैं। पानी की आपूर्ति के लिए दो ओवरहेड टैंक तैयार हो गए हैं। बोरवेल तैयार होने के बाद पंप हाउस शुरू होने वाला है। परियोजना में 10 किमी की लंबाई में सीसी रोड, 42 किमी लंबाई में बिटुमेंस रोड, 90 किमी लंबाई में नालियां-नाले, 27 पार्क और 350 एकड़ में सेंट्रल ग्रींस विकसित किया जाना है। उनका दावा है कि फंड नहीं मिल पाए हैं, लेकिन काम लगातार जारी है।
जीरो लिक्विड डिस्चार्ज सिटी
यादव के अनुसार, इस आधुनिक टाउनशिप की खासियत इसका जीरो लिक्विड डिस्चार्ज होना है। यहां से निकलने वाले सीवेज और उत्प्रवाह को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में शोधित कर पार्कों और सेंट्रल ग्रींस की सिंचाई में इस्तेमाल किया जाएगा। यहां बनने वाले तालाबों में भी शोधित पानी भरा जाएगा। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के निर्देशों के तहत यहां सिर्फ ऐसे उद्योग लगेंगे, जो प्रदूषण नहीं फैलाएंगे।
मुआवजे के मामले निपटे
यूपीसीडा के वरिष्ठ प्रबंधक (सिविल) के अनुसार, नवंबर तक 98 फीसदी किसानों को मुआवजा दिया जा चुका है। बकौल यादव, बचे हुए किसानों को भी मुआवजा दिया जा चुका है। जो इक्का-दुक्का केस बचे हैं, उनमें किसान परिवारों का आपसी विवाद है।
पहला चरण महत्वपूर्ण
परियोजना अधिकारी (मार्केटिंग) राकेश झा के अनुसार, स्कीम अब तक सार्वजनिक नहीं हुई है। परियोजना के 2-3 सेक्टर जून तक विकसित हो जाएंगे। इसके बाद 519 आवासीय प्लॉट में आधे पर लोगों को कब्जा दिया जाएगा। इससे निवेशकों में विश्वास और यूपीसीडा की साख बढ़ेगी। फिर स्कीम निकाल दी जाएगी। उम्मीद है कि अक्टूबर-नवंबर तक कब्जे मिलने लग जाएंगे। आवासीय प्लॉट में बाहरी और उद्योग लगाने वालों की हिस्सेदारी 50-50 प्रतिशत है।
यह है ट्रांस गंगा सिटी
रिहायशी एरिया : 97 एकड़
औद्योगिक एरिया : 147 एकड़
औद्योगिक रिहायशी : 14.45 एकड़
ग्रुप हाउसिंग : 45.39 एकड़
मिक्स लैंड यूज : 158.67 एकड़
पार्क और अन्य सुविधाएं : 355.67 एकड़
रोड नेटवर्क : 263 एकड़
किसानों को प्लॉट : 61 एकड़
कुल क्षेत्रफल : 1144 एकड़
Source: International