सीएए: कानपुर में जारी है धरना, पीएफआई के आगे फेल हुई पुलिस की रणनीति

कानपुर
संशोधित नागरिकता कानून () के खिलाफ कानपुर में सड़क पर शुरू हुआ धरना भले ही पार्क में सिमट गया है लेकिन पुलिस के आगे फिर नई चुनौती खड़ी हो गई है। पुलिस का मानना है कि धरना खत्म कराने की उसकी रणनीति फेल हो गई। इस कारण प्रदर्शन सड़क पर फैला। कानपुर (रेंज) के आईजी के मुताबिक, और एआईएमआईएम के लोगों के नाम लगातार सामने आ रहे हैं। वही लोग पर्दे के पीछे से लोगों को भड़का रहे हैं और उन्हें पोस्टर आदि मुहैया करा रहे हैं।

आपको बता दें कि कानपुर के मोहम्मद अली पार्क में 7 जनवरी से धरना चल रहा था। बीते शनिवार को डीएम-डीआईजी की मौजूदगी में धरना खत्म करने का ऐलान हुआ था। महिलाएं वहां से हटीं लेकिन कुछ घंटे बाद ही कुछ और महिलाएं वहां आकर बैठ गई थीं। रविवार/सोमवार रात पुलिस ने सख्ती कर पार्क खाली करा लिया लेकिन 20-25 महिलाएं रोड पर आकर डटी रहीं। सुबह भीड़ का दबाव बढ़ा और पुलिस को कदम पीछे खींचने पड़े। इसके बाद हजारों महिलाओं और बच्चों ने घड़ीवाली मस्जिद से हलीम कॉलेज तक एक किमी लंबी रोड पर धरना शुरू कर दिया था।

आईजी मोहित अग्रवाल के मुताबिक, अब तक हिंसा और प्रदर्शन में पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और एआईएमआईएम का नाम सामने आया है। यहां जांच का विषय है कि पर्दे के पीछे से लोगों को कौन भड़का रहा है और उन्हें पोस्टर और बाकी चीजें दे रहा है। लोगों को ऐसे कानून के बारे में भड़काया जा रहा है, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। उन्होंने माना है कि धरना खत्म कराने की कानपुर जिला पुलिस की रणनीति फेल हो गई है। मोटे तौर पर सोमवार को दिन भर चले धरने में करीब 10 हजार लोग थे। हालांकि अब प्रदर्शनकारी कम हो गए हैं।

सर्विलांस से पीएफआई के खिलाफ मिले सबूत
मोहित अग्रवाल के मुताबिक, कानपुर से पीएफआई के 5 लोग गिरफ्तार हुए थे। 20-21 दिसंबर को हुई हिंसा के बाद जब पुलिस ने मोबाइल खंगाले तो पता चला था कि इन्होंने ही लोगों को भड़काया था। कानपुर, लखनऊ और पूरे यूपी में पीएफआई के सभी लोग आपस में जुड़े हुए थे। एक-दूसरे को मोबाइल पर ही निर्देश दिए जा रहे थे। मंगलवार रात जब पुलिस की प्रदर्शनकारियों से बातचीत चल रही थी तो इसे असफल करने के लिए अफवाह फैलाई गई कि पुलिस ने महिलाओं के खिलाफ एफआईआर लिख ली है जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था।

‘बाहरी लोग पार्क में नहीं जाने दे रहे थे’
चमनगंज के निवासियों के मुताबिक, धरने में भले ही मोहल्ले की महिलाएं शामिल थीं लेकिन मंगलवार शाम 5 बजे से ही वे रोड खाली करने को राजी हो गई थीं। कुछ महिलाएं पार्क में चली भी गई थीं लेकिन बाहरी या दूसरे मोहल्लों से आए लोग उन्हें रोड पर ही बैठे रहने के लिए उकसा रहे थे। काफी कोशिशों के बाद रात 12 बजे महिलाएं पार्क में गईं। इस पर भी बाहरी लोगों ने आपत्ति जताई। वे मोहल्ले के लोगों की बातें भी मानने को तैयार नहीं थे। इस धरने के कारण चमनगंज में दो दिनों तक कई बैंकों की शाखाएं और एटीएम नहीं खुल सके। बाजार भी बंद रहे। नाम न छापने की शर्त पर एक स्थानीय निवासी ने बताया कि प्रशासन से बातचीत की शर्त पर महिलाएं रोड से हटी हैं। उन्होंने धमकी दी कि मांगें न मानी गईं तो फिर रोड पर धरना देंगे।

Source: International

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