कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को 2 मार्च तक अपना जवाब देने के लिए कहा है। हालांकि सारा अब्दुल्ला ने मामले पर तुरंत कोई फैसला देने का अनुरोध किया था जिसे कोर्ट ने नहीं माना। इस तरह उमर अब्दुल्ला फिलहाल 2 मार्च तक हिरासत में ही रहेंगे।
बता दें कि सरकार ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर शिकंजा और कस दिया है। प्रशासन ने इन दोनों नेताओं पर जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) लगा दिया। पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही ये दोनों नेता नजरबंद चल रहे हैं। उमर के पिता और नैशनल कॉन्फ्रेंस चीफ फारूक अब्दुल्ला पहले से ही पीएसए के तहत बंद हैं।
क्या है जन सुरक्षा अधिनियम?
जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) उन लोगों पर लगाया जा सकता है, जिन्हें सुरक्षा और शांति के लिए खतरा माना जाता हो। 1978 में शेख अब्दुल्ला ने इस कानून को लागू किया था। 2010 में इसमें संशोधन किया गया था, जिसके तहत बगैर ट्रायल के ही कम से कम 6 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। राज्य सरकार चाहे तो इस अवधि को बढ़ाकर दो साल तक भी किया जा सकता है।
(एएनआई से इनपुट्स के साथ)
Source: National