CAA हिंसा: यूपी सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ हाई कोर्ट

प्रयागराज
नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद अलीगढ़ समेत यूपी के कई शहरों में हुई हिंसा को लेकर दाखिल सभी याचिकाओं पर सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में एकसाथ सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार की ओर हलफनामा दाखिल किया गया। लेकिन राज्य सरकार की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे से कोर्ट पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हुआ। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि, हिंसा के दौरान कितने पुलिस कर्मी घायल हुए।

सरकार के अधिवक्ता ने बताया कि, लगभग तीन सौ पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी घायल हुए हैं। लेकिन कोर्ट में मेडिको लीगल सर्टिफिकेट दाखिल न किए जाने पर सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि, बहुत अधिक सर्टिफिकेट होने की वजह से वे दाखिल नहीं कर सके। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान सरकारी वकील से पूछा कि, कितनी गोलियां एफएसएल जांच के लिए भेजी गईं। सरकार की ओर से कोर्ट को जानकारी दी गई कि, सभी गोलियां जांच के लिए एफएसएल भेज दी गई हैं। लेकिन हलफनामे के साथ केवल 315 बोर के एक कारतूस की रिपोर्ट दाखिल किए जाने पर कोर्ट ने बाकी रिपोर्ट पर भी जानकारी मांगी है।

16 मार्च तक हलफनामा देने का आदेश
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस कर्मियों के खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी को लेकर भी जानकारी मांगी। तब राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि, पुलिस कर्मियों के खिलाफ आठ शिकायतें आई हैं और कोर्ट से 156(3) की दो रिपोर्ट्स आई हैं। लेकिन राज्य सरकार के वकील पुलिस कर्मियों के खिलाफ अब तक एफआईआर दर्ज ना करने को लेकर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इसके बाद हाई कोर्ट ने सीएए को लेकर हुई हिंसा को लेकर दाखिल सभी याचिकाओं पर राज्य सरकार से अलग-अलग विस्तृत हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने राज्य सरकार को 16 मार्च तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।

26 फरवरी को अलीगढ़ हिंसा के मामले पर सुनवाई
अलीगढ़ में हुई हिंसा को लेकर दाखिल मोहम्मद अमन खान की याचिका पर हाई कोर्ट 26 फरवरी को सुनवाई करेगा। जबकि मुम्बई के वकील अजय कुमार, स्वामी अग्निवेश, वजाहत हबीबुल्ला समेत 13 अन्य याचिकाओं पर 18 मार्च को सुनवाई होगी। गौरतलब है कि सीएए को लेकर 15 दिसम्बर 2019 के बाद अलीगढ़ समेत कई दूसरे शहरों में हुई हिंसा में 23 प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है।

याचिका में की गई न्यायिक जांच की मांग
मुंबई के वकील अजय कुमार और पीएफआई संगठन की ओर से दाखिल की गई याचिका समेत कुल 14 याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सुनवाई कर रहाा है। इन याचिकाओं में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए सीएए के विरोध को लेकर हुई हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की गई है। इस मामले में हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जांच कर एक महीने में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। लेकिन राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से सोमवार को सुनवाई के दौरान कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया।

Source: International

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