हार नहीं मानी, 22 साल तक की कोशिश: सचिन

नई दिल्ली
वो वक्त तो कोई भूल नहीं सकता जब भारतीय क्रिकेट टीम ने 2011 में विश्व कप जीता था और को उनके साथियों ने कंधों पर उठा लिया था। सचिन के इस पल को पिछले 20 सालों में खेल का सर्वश्रेष्ठ पल माना गया है। इसके लिए क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर को 2000-2020 से सम्मानित किया गया। इस मौके पर तेंडुलकर ने बताया कि विश्व कप जीतना उनका बचपन से सपना था और इस सपने को सच में बदलने में उन्हें 22 साल तक इसका पीछा करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। भारतीय क्रिकेट समर्थकों की वोटिंग से सचिन तेंडुलकर को सबसे अधिक वोट मिले और वह ये अवॉर्ड जीत गए।

क्या कहा सचिन तेंडुलकर ने
अवॉर्ड मिलने के बाद दी स्पीच में सबसे पहले तो सचिन तेंडुलकर ने उन्हें वोट करने वाले लोगों और वहां कार्यक्रम में मौजूद लोगों का धन्यवाद अदा किया। उन्होंने कहा- ‘ऐसे कुछ ही मौके होते हैं जब पूरा देश साथ मिलकर जश्न मनाता है और लोगों की अलग-अलग राय नहीं होती है। यही ताकत है क्रिकेट की, जो लोगों के साथ लाती है।’

जब उनसे पूछा गया कि बार-बार वर्ल्ड कप नहीं जीत पाने के बाद छठी बार में सफलता हासिल होने पर आपको कैसे लगा तो तेंडुलकर ने अपने दिल की बात कही। वह बोले- ‘मेरा सफर 1983 में शुरू हुआ, जब मैं 10 साल का था. उस वक्त जब भारत ने विश्व कप जीता था तो मुझे इसकी अहमियत समझ नहीं आई. हर कोई जश्न मना रहा था तो मैं भी पार्टी में शामिल हो गया। लेकिन कहीं न कहीं मुझे ये पता था कि देश के लिए कुछ बहुत ही खास हुआ है। मैं भी एक दिन इसका अनुभव करना चाहता था और यहीं से ये सब शुरू हुआ।’

सचिन ने विश्व कप जीतने के उस पल को याद करते हुए कहा- ‘वो मेरी जिंदगी का सबसे गौरवपूर्ण मौका था, जिसका मैंने करीब 22 सालों तक पीछा किया, लेकिन कभी उम्मीद नहीं खोई। मैंने उस ट्रॉफी को अपने देशवासियों की तरफ से उठाया था।’ उन्होंने अपनी स्पीच में नेल्सन मंडेला का भी जिक्र किया, जिनसे वह 19 साल की उम्र में मिले थे. उन्होंने मंडेला की बातों में से एक खास बात का जिक्र किया और कहा उन्होंने कहा था कि खेल में लोगों को एक साथ लाने की ताकत होती है।

धोनी के छक्के ने खत्म किया था मैच
सचिन तेंडुलकर का वह छठा विश्व कप था, जिसमें महेंद्र सिंह धोनी ने श्रीलंका के पेसर नुवान कुलसेकरा की गेंद पर छक्का मार कर जीत का रास्ता साफ कर दिया था। इस जीत से सचिन तेंडुलकर कितने खुश हुए थे, उसका जिक्र उन्होंने ट्रॉफी मिलने के बाद दी स्पीच में किया। उन्होंने बताया कि उनकी जिंदगी में वह पल कितने मायने रखता है।

Source: Sports

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