डेप्युटी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर डीके त्रिपाठी और आरटीओ संजय सिंह मंगलवार सुबह बिल्हौर गए थे। हर पहलू से बस को चेक करने के बाद दोनों अधिकारियों को बस में कोई तकनीकी कमी नहीं मिली। डेप्युटी ट्रासंपोर्ट कमिश्नर के अनुसार, हादसे के बाद बस सीधे ही सर्विस लेन पर गिरी। इससे यात्रियों को कोई चोट नहीं आई। 2019 मॉडल की वॉल्वो बस के आपातकालीन दरवाजे नहीं खोले गए थे। हड़बड़ी में यात्री एक ग्लास तोड़कर बाहर निकले थे।
‘…लेकिन चकनाचूर हो गई थी गाड़ी’
हाईवे पर जब बसें 100 की स्पीड में चलती हैं तो उनकी वास्तविक स्पीड 89 किमी/घंटा होती है। इस एक्सप्रेस-वे पर आमतौर पर बसें 100 की गतिसीमा पार कर जाती हैं। इसी तरह फॉर्च्युनर भी 100 से ज्यादा स्पीड में थी, लेकिन शुरुआती तौर पर हादसे के वक्त स्पीड बताना फिलहाल संभव नहीं है। 10 साल पुरानी फॉर्च्युनर के एयर बैग खुले मिले, लेकिन बोनट से डैशबोर्ड तक का हिस्सा पूरी तरह चकनाचूर हो गया। यह बेहद आश्चर्यजनक है।
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Source: International