उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने बुधवार को विधानसभा में दावा किया कि संशोधित (सीएए) के खिलाफ गत 19 दिसंबर को राज्य के विभिन्न जिलों में हिंसा के दौरान एक भी व्यक्ति पुलिस की गोली लगने से नहीं मरा। योगी ने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही। इसके साथ ही सीएम ने अप्रत्यक्ष रूप से पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ लोग अपने बेटे-बेटियों को देशविरोधी नारे लगाने वालों के बीच भेजते हैं।
‘जो मरने के लिए आ रहा हो, उसे कौन बचा सकता है’
मुख्यमंत्री योगी ने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा, ‘सीएए के खिलाफ उपद्रव के दौरान पुलिस की गोली से कोई नहीं मरा। जो लोग मरे हैं, वे उपद्रवियों की गोली से ही मरे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘अगर कोई व्यक्ति किसी निर्दोष को मारने के लिए निकला है और वह पुलिस की चपेट में आता है। ऐसे में या तो पुलिसकर्मी मरे, या फिर वह मरे। किसी एक को तो मरना होगा, लेकिन एक भी मामले में पुलिस की गोली से कोई नहीं मरा है।’ मुख्यमंत्री ने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामले में पुलिस कार्रवाई की तारीफ करते हुए कहा, ‘अगर कोई मरने के लिए आ ही रहा है तो उसे कौन बचा सकता है।’
सीएए विरोधी हिंसक प्रदर्शन में 21 लोगों की हुई थी मौत
योगी का यह बयान विपक्ष के इन आरोपों के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है कि सीएए विरोधी हिंसा में मरे सभी लोग पुलिस की गोली से ही मारे गए हैं। और इस वजह से पुलिस मृतकों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट उनके परिजन को नहीं दे रही है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत कई जिलों में सीएए के खिलाफ दिसंबर में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान 21 लोगों की मौत हुई थी।
‘देश से गद्दारी करने वालों को गुमनाम मौत के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा’
योगी ने देश के विभाजन के वक्त पाकिस्तान गए दलित नेता जोगेन्द्र मंडल को ‘गद्दार’ करार देते हुए विपक्ष पर कटाक्ष किया और कहा, ‘एक बड़े षड्यंत्र का पर्दाफाश हुआ है। पीएफआई, सिमी जैसे संगठन का परिवर्तित नाम है। इन उपद्रवियों के साथ किसी प्रकार की सहानुभूति का मतलब पीएफआई और सिमी जैसे संगठनों का समर्थन है। आप जोगेन्द्र नाथ मंडल जैसे मत बनिए। देश से गद्दारी करने वालों को गुमनाम मौत के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा।’
उन्होंने कहा, ‘सीएए के खिलाफ हिंसा हमें इस बारे में फिर सोचने को मजबूर करती है। आंदोलन में पीछे से हिंसा कर रहे लोगों को राजनीतिक संरक्षण मिला था। गत 15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हिंसा हुई तो मैंने अलीगढ़ प्रशासन को सतर्क रहने को कहा। उस रात 15 हजार छात्र सड़क पर उतरकर अलीगढ़ को जलाना चाहते थे। अंदर से पहले पत्थर और फिर पेट्रोल बम फेंके गए। उसके बाद असलहे चले। कुलपति के लिखित अनुमति देने पर ही पुलिस अंदर गयी और हल्का बल प्रयोग किया।’
अखिलेश पर निशाना- बेटे-बेटी को भेजते हैं देशविरोधियों के बीच
मुख्यमंत्री ने कहा,‘अब तक तो मैं सोचता था कि अपराधी भी अपने पुत्र-पुत्रियों को अपराधी नहीं बनाना चाहते हैं। लेकिन यहां कुछ नेता अपने पुत्र-पुत्रियों को देश विरोधी नारे लगाने वालों के बीच भेजते हैं। आप किस तरफ ले जा रहे हैं? आपको तय करना होगा। आपको बापू के सपने को साकार करना है या जिन्ना के सपने को?’ गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव की बेटी सीएए के खिलाफ लखनऊ के घंटाघर इलाके में पिछले एक महीने से जारी अनिश्चितकालीन प्रदर्शन के दौरान देखी गई थीं।
Source: National