अयोध्या में सुन्री बोर्ड को मस्जिद की जमीन मंजूर

युसरा हुसैन, लखनऊ
यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का कहना है कि उसने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए मिली पांच एकड़ जमीन स्वीकार कर ली है। अयोध्या विवाद में सर्वोच्च अदालत के आदेश के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने मस्जिद के लिए अयोध्या की सीमा के अंदर ही धुन्नीपुर गांव में यह जमीन दी है। वहीं मोदी सरकार ने मंदिर निर्माण के लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट बनाया है।

बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारूकी ने साफ किया कि उनके पास कभी इसको खारिज करने की छूट नहीं थी। हम पहले ही कह चुके थे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। फारूकी ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘जमीन को स्वीकार करने या खारिज करने का सवाल हमने कभी नहीं उठाया। जिन लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने जमीन नहीं दी है, वे ही इसे न स्वीकार करने का शोर मचा रहे हैं। हमने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन करने का फैसला किया था।’

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24 फरवरी को सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत योगी सरकार ने अयोध्या की सोहावल तहसील के रौनाही थाना क्षेत्र में लगने वाले धुन्नीपुर गांव में मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन चिन्हित की थी। अयोध्या पर फैसले के बाद सुन्नी बोर्ड ने अपने भावी कदम को लेकर चुप्पी साधी हुई थी। अब बोर्ड ने साफ किया है कि 24 फरवरी को होने वाली बैठक में अगले कदम के बारे में फैसला लिया जाएगा।

यूपी सरकार की ओर से मिली जमीन पर फारूकी ने कहा, ‘9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट का आदेश बिल्कुल स्पष्ट था कि राज्य सरकार हमें जमीन आवंटित करे और हमें इस पर मस्जिद और उससे जुड़ी दूसरी चीजें बनाने की छूट मिले। हमारे पास जमीन को स्वीकार न करने की छूट नहीं थी क्योंकि ऐसा करना कोर्ट की अवमानना होगा।’

‘जमीन पर क्या करना है सदस्य फैसला करेंगे’
जब फारूकी से पूछा गया कि 24 फरवरी को बोर्ड की बैठक में क्या फैसला होगा तो उन्होंने कहा, ‘बोर्ड के सदस्य फैसला करेंगे कि जमीन पे क्या करना है और कैसे करना है।’ बोर्ड को यूपी सरकार का खत मिल चुका है लेकिन उसने अभी कोई जवाब नहीं भेजा है। 24 फरवरी की मीटिंग में बोर्ड के नाम जमीन ट्रांसफर की कानूनी प्रक्रिया पर चर्चा के बाद सरकार को जवाब भेजा जाएगा। फारूकी के अलावा बोर्ड में सात सदस्य हैं।

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‘हमारे लिए 5 एकड़ जमीन काफी है’
फारूकी ने कहा, ‘हमें जनता और बुद्धिजीवियों की ओर से कई प्रस्ताव मिले हैं। इसमें चैरिटी के लिए भी जमीन का इस्तेमाल करने का सुझाव है। मस्जिद के साथ ही इस्लामिक कल्चरल सेंटर बनाने का भी प्रस्ताव मिला है। मस्जिद और दूसरी चीजों को बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन काफी है। बाबरी मस्जिद केवल एक तिहाई एकड़ पर बनी थी। यहां तक कि अगर हम उसी तरह की मस्जिद बनाएं (जिसकी जरूरत नहीं है) तो भी बहुत जगह बच जाएगी।’

बोर्ड के रेकॉर्ड से हटेगा बाबरी मस्जिद
फारूकी ने कहा कि बोर्ड के रेकॉर्ड्स से बाबरी मस्जिद को हटाया जाएगा। उन्होंने कहा कि मस्जिद का कोई वजूद नहीं है और इसे जल्द ही रेकॉर्ड से हटा दिया जाएगा। 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फारूकी ने टीओआई से कहा था कि बोर्ड अपनी बैठक में तय करेगा कि वह जमीन लेगा या नहीं। हालांकि 26 नवंबर को बैठक में बोर्ड ने फैसला किया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा।

Source: National

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