बहुजन समाज पार्टी () चीफ ने पार्टी की मीटिंग में अपने नेताओं को हिदायत है कि वे और को ज्यादा तवज्जो ना दें। मायावती ने पार्टी के पदाधिकारियों पर वसूली करने के आरोप के बाद सख्त रुख अपनाया है। मायावती ने अनुशासन का चाबुक चलाते हुए पार्टी में बैन कर दी है। शनिवार को दिल्ली में हुई बैठक में शामिल पार्टी नेताओं के मुताबिक, मायावती ने चंदा वसूली के नाम पर पदाधिकारियों के उगाही करने के आरोप नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसे नेताओं को पार्टी से निकाल दिया जाएगा।
एक पदाधिकारी के मुताबिक, मीटिंग में भीम आर्मी और चंद्रशेखर आजाद का भी जिक्र हुआ जरूर लेकिन मायावती ने इन दोनों को ही तवज्जो ना देने की हिदायत दी। मायावती ने भीम आर्मी की सक्रियता को बीजेपी और कांग्रेस की चाल करार दिया। उन्होंने कहा, ‘बीएसपी को कमजोर करने में दोनों दल अकसर छोटे दलों को खड़ा करने की साजिश करते हैं। इसलिए अपना संगठन मजबूत करो, अगर नए स्वरूप से बीएसपी का संगठन खड़ा कर दिया तो 2022 में किसी और की सरकार नहीं बनेगी।’
बीएसपी पदाधिकारियों के मुताबिक, मायावती ने कहा कि शिकायत मिली है कि कुछ सीनियर पदाधिकारियों ने जिला अध्यक्ष और दूसरे पदों पर मनोनयन के लिए पैसे लिए। मायावती ने पदाधिकारियों को यह भी हिदायत दी कि आगे से ऐसी शिकायत सुनने या मिलने पर खैर नहीं है। यही संभलने का आखरी मौका है। मायावती ने सख्त संदेश दिया कि ऐसे नेताओं को पार्टी से निकाल दिया जाएगा।
जन्मदिन के नाम पर पैसे लिए तो होगा ऐक्शन
पार्टी व्यवस्था में जिला कार्यालय मेंटनेंस के लिए हर विधानसभा क्षेत्र से 20 हजार रुपये जिलाध्यक्ष को विधानसभा क्षेत्र संगठन मुहैया कराता था। मीटिंग में शामिल पदाधिकारी के मुताबिक, मायावती ने अब माहवार मेंटनेंस के नाम पर पैसा इकट्ठा करने पर रोक लगा दी। हर विधानससभा क्षेत्र से एक साल में एक बार ढाई लाख रुपये मेटनेंस के लिए जमा करने की नई व्यवस्था की है। पहले शिकायत मिली थी कि कुछ पदाधिकारियों की हर महीने वसूली के नाम पर मनमानी करने से पार्टी की बदनामी होती थी। यह भी संदेश दिया गया है कि मायावती के जन्मदिन के नाम पर पैसा लेने की शिकायत पर ऐक्शन होगा।
मीटिंग में पार्टी वर्कर्स से कहा गया कि जुल्म के खिलाफ आवाज बुलंद जरूर करो लेकिन तरीका संवैधानिक होना चाहिए। पिछले साल 2 अप्रैल को प्रदर्शन के नाम पर सरकार ने बड़ी तादाद में गुनाहों को जेल भेजा था और उनके खिलाफ एफआईआर लिखी गई थी। अब सीएए और एनआरसी के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भी संवैधानिक तरीका अपनाएं। राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कमिश्नर, डीएम जिस स्तर पर भी ज्ञापन आदि देना है, उसके लिए प्रशासन से अनुमति लें ताकि उत्पीड़न का मौका न मिले।
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