उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में स्थापित एशिया की सबसे बड़ी पत्थर मंडी पर लगा ताला

महोबा-कबरई कस्बे और आसपास लगभग 350 स्टोन क्रेशर लगे हैंमहोबा जिले की पत्थर मंडी से सालाना 400 करोड़ रुपये का राजस्वतालाबंदी के कारण 10 करोड़ की लागत वाले स्टोन क्रेशर्स की नीलामी की नौबत
उत्तर प्रदेश के महोबा जिले में स्थापित एशिया की सबसे बड़ी पत्थर मंडी पर ताला लग गया है. इस तालाबंदी से 2 लाख मजदूर बेरोजगार हो गए हैं. 6 हजार ट्रक बेकार खड़े हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि एनएच 34 के टोल प्लाजा पर सन्नाटा पसरा हुआ है. राज्य की नई खनन नीति के विरोध में यह तालाबंदी हुई है. तालाबंदी के कारण 10 करोड़ की लागत वाले स्टोन क्रेशर्स की नीलामी की नौबत आ गई है. क्रेशर मालिकों का कहना है कि शासन की खनिज नीति के कारण उन्होंने हड़ताल की है.


महोबा जिले का कबरई कस्बा पत्थर उद्योग नगरी के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर एशिया का सबसे बड़ा पत्थर बाजार है. कबरई कस्बे और आसपास लगभग 350 स्टोन क्रेशर लगे हैं. प्रदेश सरकार की नई खनन नीति से पहाड़ के ठेकेदारों और क्रेशर मालिकों की कमर टूट गई है. जिले के क्रेशर मालिकों ने खनिज नीति में सुधार की मांग को लेकर जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश शासन तक अपील की है. सुनवाई ना होने पर मजबूरन क्रेशर मालिकों को हड़ताल पर जाना पड़ा है.
महोबा जिले की इस पत्थर मंडी से सालाना 400 करोड़ रुपया का राजस्व प्रदेश सरकार को जाता है. इस मंडी से रोज 6000 ट्रक गिट्टी लेकर देश के कोने-कोने में जाते थे. मंडी का सिर्फ बजली का बिल ही करीब 20 करोड़ रुपया का होता था. हड़ताल की वजह से सरकार को अरबो रुपये का घाटा होने का अनुमान है. स्टोन क्रेशरों की हड़ताल के बाद इससे जुड़े सभी उद्योग भी ठप्प हो गये हैं. पहाड़ों में काम करने वाले दो लाख मजदूर बेरोजगार हो गए हैं तो वहीं जे सी बी ड्राइवर्स, मशीन आपरेटर्स, ट्रक ड्राइवर्स, ढाबे वालों, पेट्रोल पंप आदि के कारोबार प्रभावित हुए हैं.
एक स्टोन क्रेशर लगने में 3 से 6 करोड़ तक का खर्चा आता है और बाकी मशीनरी को मिलाकर 10 करोड़ रुपये तक की लागत आ जाती है. तालाबंदी से स्टोन क्रेशर लगाने के लिए बैंको से करोड़ो का कर्ज लिए क्रेशर मालिकों के सामने कर्ज ना अदा कर पाने पर क्रेशरों की नीलामी का खतरा भी मंडराने लगा है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *