अवैध हथियारों पर शिकंजा कसने की तैयारी केंद्र सरकार ने शुरू कर दी है। गृह मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित नए कानून में ऐसे मामले में दोषी साबित होने पर आजीवन तक की सजा का प्रावधान है। आर्म्स (अमेंडमेंट) बिल के ड्रफ्ट के अनुसार 3 रखने वालों को भी अपना तीसरा हथियार अधिकारियों के पास जमा कराना होगा। अभी एक शख्स को अधिकतम 3 लाइसेंसी हथियार रखने की अनुमति है।
नए ड्राफ्ट में हथियारों की तस्करी, हथियारे के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कल-पुर्जे की तस्करी, संगठित अपराध और हर्ष फायरिंग का आदि के लिए अलग-अलग सजा का जिक्र है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार सरकार की योजना के मामलों में दोगुनी सजा का प्रावधान करने की है। एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘हम संसद के शीतकालीन सत्र में संशोधन विधेयक पेश करने की कोशिश करेंगे। लेकिन यदि उस वक्त ऐसा नहीं किया जा सका तो हम अगले बजट सत्र में इसे पेश करेंगे।’
आर्म्स ऐक्ट, 1959 के सेक्शन 25 (1AA) में सरकार बदलाव करने की तैयारी में है। ऐसे मामलों में 14 साल की कैद की सजा को आजीवन कारावास में बदलने और न्यूनतम सजा 14 साल करने का प्रावधान इस ड्राफ्ट में किया गया है। वर्तमान कानून के हिसाब के हिसाब से न्यूनतम सजा 7 साल और अधिकतम 14 साल है। एक अनुमान के मुताबिक भारत में कुल 35 लाख लाइसेंसी हथियार हैं। अकेल उत्तर प्रदेश में 13 लाख लाइसेंसी हथियार हैं, वहीं जम्मू-कश्मीर में 3.7 लाख लाइसेंसी हथियार हैं। 3.6 लाइसेंस के साथ पंजाब इस लिस्ट में तीसरे नंबर पर है।
प्रस्तावित संशोधनों में बंदूकों एवं उनके पुर्जो का अवैध आयात और उनकी बिक्री तथा खरीद को गैरकानूनी व्यापार के रूप में श्रेणीबद्ध किया गया है। प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक सिर्फ खिलाड़ी ही तीसरी बंदूक रख सकेंगे। बशर्ते कि राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शूटिंग (खेल) में उनकी भागीदारी को केंद्र सरकार द्वारा पिछले दो बरसों में मान्यता दी गई हो। गृह मंत्रालय प्रस्तावित संशोधनों पर कई राज्यों के गृह सचिवों और पुलिस प्रमुखों के साथ चर्चा कर चुका है।
Source: National