PM मोदी और शी चिनफिंग में हुई 'डिनर पे चर्चा'

महाबलीपुरम
प्रधानमंत्री ने दूसरी अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए पहुंचे चीन के राष्ट्रपति की शुक्रवार को महाबलीपुरम में डिनर के दौरान मेजबानी की। इस दौरान दोनों नेताओं ने पारंपरिक दक्षिण भारतीय व्यंजनों का आनंद लिया। बताया गया कि शी चिनफिंग के लिए चुनिंदा मांसाहारी व्यंजन भी तैयार किए गए थे।

प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों नेताओं को शानदार रात्रिभोज में अन्य व्यंजनों के साथ-साथ दालों से बनाया जाने वाला पारंपरिक दक्षिण भारतीय व्यंजन ‘सांभर’ भी परोसा गया। पिसी दाल, विशेष मसालों और नारियल से तैयार की जाने वाली ‘अराचु विट्टा सांभर’ मेन्यू में आकर्षण का मुख्य केंद्र रही। इसके अलावा टमाटर से बनी थक्‍कली रसम, इमली, कदलाई कुरुमा और मिष्ठान में हलवा समेत विभिन्न व्यंजन परोसे गए। चीनी राष्ट्रपति के लिए चुनिंदा मांसाहारी व्यंजन भी तैयार किए गए।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के लिए ‘टूरिस्ट गाइड’ की भूमिका में दिखे। मोदी ने चिनफिंग को चेन्नै से लगभग 60 किमी दूर स्थित प्रसिद्ध मूर्तिकला शहर महाबलीपुरम में तीन महत्वपूर्ण स्मारकों की वास्तुकला और महत्व के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान मोदी पारंपरिक तमिल परिधान ‘विष्टी’ (सफेद धोती), आधी बांह की सफेद कमीज के साथ ही अंगवस्त्रम (अंगोछा) कंधे पर रखे नजर आए। मोदी ने दूसरे अनौपचारिक भारत-चीन शिखर सम्मेलन के लिए महाबलीपुरम पहुंचे शी का स्वागत किया। इस दौरान शी सफेद कमीज और काली पतलून पहने हुए थे।

इस डिनर के बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट करके कहा, ‘डिनर पर लंबी चर्चा के साथ एक उपयोगी दिन संपन्न हुआ। और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने डिनर के दौरान भी दोनों देशों के मजूबत संबंधों के बारे में अपने विचार साझा किया।’

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मोदी अर्जुन के तपस्या स्थल के पास शी से मिले और उन्हें चट्टान काटकर बनाए गए भव्य मंदिर के अंदर ले गए। मंदिर में प्रवेश करने के बाद मोदी खुद ही चिनफिंग को यहां की नक्काशी और पारंपरिक सभ्यता व संस्कृति के बारे में बताते हुए देखे गए। फिर दोनों नेता अर्जुन की तपस्या मूर्तिकला के पास गए। मोदी एक पेशेवर गाइड की तरह शी को विशाल चट्टान पर उकेरी गई विभिन्न छवियों को बताते हुए देखे गए। शी चिनफिंग भी मोदी को बड़ी उत्सुकता से सुन रहे थे। मोदी और शी ने कृष्ण की बटर बॉल की सैर की। यहां से दोनों नेताओं ने एक ही कार में बैठकर पांच रथों तक पहुंचने के लिए कुछ दूरी तय की।

बता दें कि पांच रथ (पंचरथ) ठोस चट्टानों का एक समूह है। यह पांच रथ मुक्त रूप से खड़े अखंड मंदिर के रूप में हैं, जिन्हें महाभारत के पांच पांडव भाई युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव के साथ उनकी पत्नी द्रौपदी से जोड़ा गया है। कहा जाता है कि 7वीं शताब्दी में पल्लव राजाओं ने इसका निर्माण कराया था। इस पंचरथ को अद्भुत वास्तुकला के लिए अपूर्व माना जाता है। इसके बाद दोनों नेताओं ने बातचीत करने के लिए एक जगह पर बैठने का फैसला लिया। उन्होंने यहां नारियल पानी भी पीया।

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Source: National

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