किरंदुल छत्तीसगढ़ में विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारित उच्च शिक्षा के महत्व पर व्यापक विमर्श हेतु शासकीय अरविंद महाविद्यालय किरंदुल में एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार संपन्न हुआ।वेबिनार का विषय था – साइंस एंड टेक्नोलॉजी ड्रिवन हॉयर एजुकेशन इन स्टेट ऑफ छत्तीसगढ़:चैलेंजेस एंड ऑपर्च्युनिटीज ड्यूरिंग एंड आफ्टर कॉविड-19 एरा.
कार्यक्रम की शुरुआत वेबिनार के सचिव व सहायक प्राध्यापक प्राणी शास्त्र प्रोफेसर इरफान अली द्वारा स्वागत उद्बोधन और विषय परिचय के साथ हुआ।
1दिवसीय वेबिनार में मुख्य वक्ता के रूप में बस्तर विवि जगदलपुर के सम्माननीय कुलपति डॉ शैलेंद्र कुमार सिंग ने अपने उद्बोधन में कहा वर्तमान चुनौतियों नेडिजिटल शिक्षा को अनिवार्य बना दिया है।ऑडियो, वीडियो,पीपीटी,पीडीएफ आदि के माध्यम से अध्ययन अध्यापन द्वारा हम एक नई दिशा में अग्रसर हो रहे हैं।उन्होंने बताया कि जल्द ही विवि की वेबसाइट पर डिजिटल अध्ययन सामग्रियां उपलब्ध होंगी।उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में विज्ञान व तकनीकी ज्ञान के समावेश होने पर लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे साथ ही देश आर्थिक रूप से मजबूत व आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा।
बस्तर ज़ोन के अतिरिक्त संचालक व शासकीय काकतीय पीजी कॉलेज की प्राचार्या डॉ वी. विजयालक्ष्मी ने कहा कि वैसे तो डिजिटल शिक्षा की अपेक्षा प्रत्यक्ष शिक्षा अधिक कारगर है,लेकिन डिजिटल शिक्षा आज समय की मांग बन गई है।उन्होंने कहा कि इस दिशा में बढ़ने के लिए विद्यार्थी,फैकल्टी और शिक्षण संस्थाओं का डिजिटल होना अति आवश्यक है।
वहीं बिलासपुर जोन के अतिरिक्त संचालक व शासकीय राघवेंद्र साइंस कॉलेज बिलासपुर के प्राचार्य डॉ एस आर कमलेश ने कहा कि कॉविड 19 से उपजे संकट के दौर में डिजिटल शिक्षा बहुत महत्वपूर्ण हो गई है।उन्होंने कहा कि इसके लिए सस्ती व हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्स्टिविटी,कंप्यूटर,लैपटॉप, स्मार्ट मोबाइल फोन की जरूरत होगी।साथ ही इस दिशा में बढ़ने में के लिए प्रशिक्षण भी बहुत आवश्यक है।उन्होंने उच्च शिक्षा में विज्ञान व तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने और वैज्ञानिक सोच वाले पाठ्यक्रमों को शामिल किए जाने का सुझाव भी दिया।
संरक्षक व प्राचार्या प्रोफेसर शारदा दररो ने कहा कि वर्तमान की आई समस्या ने मनुष्य को हर तरीके से प्रभावित किया है।हर समस्या अपने साथ चुनौतियां और अवसर लेकर आती हैं।उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार की आवश्यकता पर जोर दिया साथ ही समाज के हर वर्ग को डिजिटल शिक्षा से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया।
स्कूल ऑफ स्टडीज इन कंप्यूटर एप्लिकेशन के प्रोफेसर राघवेन्द्र पटेल ने बताया कि कम्यूटर और मोबाइल फोन डिजिटल शिक्षा के महत्वपूर्ण माध्यम है,जिसे विद्यार्थियों और शक्षकों के बीच संवाद होता है।उन्होंने इन उपकरणों के ऑपरेटिंग के दौरान सुरक्षा व सावधानियों के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की।
अंत में वेबी नार ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी प्रोफेसर रजनी मंडल सहायक प्राध्यापक रसायन ने सभी सम्माननीय वक्ताओं,प्राध्यापकों,वैज्ञानिकों,शोधार्थियों,विद्यार्थियों,प्रतिभागियों के प्रति धन्य वाद व आभार प्रकट किया।
वेबीनार के मुख्य संरक्षक डॉ शैलेन्द्र सिंग,संरक्षक व प्राचार्य श्रीमती शारदा दर्रो, संयोजक इरफान अली सहायक प्राध्यापक प्राणी शास्त्र,ऑर्गनाइजिंग सेक्रेट्री प्रोफेसर रजनी मंडल सहायक प्राध्यापक रसायन थे।
आयोजन समिति में शासकीय दंतेश्वरी पीजी कॉलेज दंतेवाड़ा के प्राचार्य
डॉ आर.के. हिरकने, डॉ शिखा सरकार सहायक प्राध्यापक(इतिहास),अरविंद महाविद्यालय किरंदुल से प्रोफेसर बिंदु ठाकुर(राजनीति विज्ञान),प्रोफेसर अशोक नेताम(हिंदी), प्रयोगशाला तकनीशियन श्री बीके मिश्र,श्री आरके यादव,श्री सतीश कुमार बंजारे,सहायक ग्रेड-2 श्रीमती यशोदा कुमार,प्रयोगशाला परिचालक श्री अजय कुमार साहू, श्री विजय शंकर गायकवाड़ भृत्य श्री शिवचरण रात्रे,श्री शिवशंकर गायकवाड़ व श्री महेंद्र श्रीवास थे।
जिले में पहली बार आयोजित वेबि नार हेतु आयोजन समिति द्वारा व्यापक तैयारियां की थी,जिसके चलते कुल 382 विद्वानों, प्राध्यापकों,शोधार्थियों, प्रतिभागियों और विद्यार्थी गण ने वेबिनार हेतु पंजीकृत हुए और सहभागिता निभाई।