टेरर फंडिंग वाया नेपाल: न्यायिक हिरासत में भेजे गए चार आरोपी, एटीएस और एजेंसियां सक्रिय

लखीमपुर खीरी
पाकिस्तान खुफिया एजेंसी द्वारा कराए जाने के मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किए गए 4 लोगों को जूडिशल कस्टडी में भेज दिया है। टेरर फंडिंग केस में गिरफ्तार इन चार लोगों से पुलिस, एटीएस और खुफिया एजेंसियों के अधिकारी पूछताछ कर चुके हैं और सोमवार को लखीमपुर खीरी के सीजेएम कोर्ट ने इन्हें सात दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया है।

दूसरी ओर यूपी में नेपाल के रास्ते टेरर फंडिंग नेटवर्क के सामने आने के बाद एटीएस के साथ अन्य खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय हो गई हैं। सूत्रों की मानें तो एटीएस के रेडार पर ऐसे सौ से अधिक लोग हैं। उनकी गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही है। उन्होंने नेपाल पुलिस से भी संपर्क कर वहां पकड़े गए दोनों आरोपियों के साथ ही वहां हुए बैंक फ्रॉड की पूरी जानकारी मांगी है। इन चार आरोपियों के गिरफ्तार होन के बाद शनिवार को एटीएस की एक टीम लखीमपुर पहुंची थी, जिसके बाद टीम ने यहां के दुकानदारों और बस अड्डे के मैनेजर से भी पूछताछ की।

बिहार, उत्तराखंड, एमपी में तैयार किए जा रहे आतंकी!
खीरी में पकड़े गए आरोपियों से प्राथमिक पूछताछ के आधार पर एटीएस का मानना है कि वह इस नेटवर्क की सबसे छोटी कड़ी हैं। पकड़े गए रैकिट का सरगना नेपाल में है। वहीं से वह आतंक को पनाह देने के लिए पाकिस्तान से या फिर फ्रॉड से रुपये मंगाकर यूपी, एमपी, बिहार लेकर जम्मू कश्मीर तक पहुंचा रहा है। इसके जरिए पाक खुफिया एजेंसी बिहार, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश में भी आतंकी मॉड्यूल तैयार कर रहा है।

यूपी के आठ जिले में टेरर फंडिंग
टेरर फंडिंग के लिए नेपाल से रकम लाने के काम में सबसे ज्यादा लोग यूपी के पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, महराजगंज, सिद्धार्थनगर और महराजगंज जिलों में हैं। खीरी पुलिस सूत्रों की मानें तो बिहार में भी इनका मजबूत नेटवर्क काम कर रहा है। नेपाल से सटे बिहार के मधुबनी, सीतामढ़ी, पूर्णिया, किशनगंज, पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, सुपौल जैसे जिलों में इसका नेटवर्क है।

पहले भी हुए हैं खुलासे
नकली नोट के कारोबार के जरिये भी पाक खुफिया एजेंसी आईएसआई नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते टेरर फंडिंग का नेटवर्क चलाती है। इसका खुलासा एक साल पहले लखनऊ, गोरखपुर, प्रतापगढ़ व रीवा से पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ में हो चुका है। एटीएस के एक अफसर का कहना है कि पिछले कुछ सालों में आईएसआई ने टेरर फंडिंग में सोशल मीडिया को हथियार के रूप में प्रयोग कर रही है। इसके तार नेपाल के साथ यूपी, बिहार से लेकर जम्मू-कश्मीर तक जुड़े हैं। यूपी और एमपी से पिछले साल टेरर फंडिंग के खुलासे के बाद एटीएस के साथ अन्य एजेंसियां फर्जी नाम-पतों पर जम्मू, पुलवामा, श्रीनगर और बारामूला के अलग-अलग बैंकों में खोले गए खातों में फंडिंग की रकम भेजने की जांच कर चुकी हैं।

Source: UttarPradesh

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