नई दिल्ली : केंद्रीय इस्पात एवं पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ‘आत्मनिर्भर भारत : ग्रामीण अर्थव्यवस्था-कृषि| ग्रामीण विकास| पशुपालन और डेयरी| खाद्य प्रसंस्करण में स्टील के उपयोग को बढ़ावा देने’ पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित किया। इस वेबिनार का आयोजन कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के सहयोग से इस्पात मंत्रालय ने आज यहां किया। इस वेबिनार में इस्पात मंत्री ने हमारे गांवों के विकास एवं समृद्धि और हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत व आत्मनिर्भर बनाने में भारत के इस्पात क्षेत्र की भूमिका पर अपने विचार साझा किए। इस अवसर पर केन्द्रीय ग्रामीण विकास, कृषि और किसान कल्याण, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर भी अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने इस कार्यक्रम में विशेष भाषण दिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री प्रधान ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में इस्पात की मांग को बढ़ावा देने के लिए अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, “मैं इस वेबिनार के लिए इस्पात, कृषि, ग्रामीण विकास, पशुपालन और डेयरी के हितधारकों को एक साथ देखकर खुश हूं।” मंत्री ने बताया कि सरकार 1,00,000 करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड के संवितरण के साथ कई नए क्षेत्रों को प्राथमिकता वाले क्षेत्र में शामिल कर रही है। उन्होंने बताया, “हम देश भर में 5,000 कम्प्रेस्ड बॉयो-गैस (सीबीजी) संयंत्र विकसित कर रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में सीबीजी को प्राथमिकता वाले क्षेत्र में शामिल किया है। हम चावल से इथेनॉल बनाने के लिए काम कर रहे हैं। सभी के लिए आवास सुनिश्चित करने का मिशन, ग्रामीण सड़कों में निवेश, रेलवे की आधारभूत संरचना को उन्नत करने और कृषि को गति, सभी में इस्पात की बड़ी मांग पैदा करेंगे। प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत बढ़ाना सभी के हित में है। श्री प्रधान ने उल्लेख किया कि देश में प्रति व्यक्ति इस्पात उपयोग को बढ़ाने में ग्रामीण भारत की अहम भूमिका है। यह समाज में अधिक सशक्त बनाएगा, ग्रामीण विकास सुनिश्चित करेगा और रोजगार पैदा करेगा।”
अपने संबोधन में श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए गए आत्मनिर्भर भारत के आह्वान को साकार करने का मार्ग आत्मनिर्भर गांवों से होकर जाता है। उन्होंने उल्लेख किया कि हमारे गांवों को मजबूत और आत्मनिर्भर बनाने में इस्पात को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। श्री तोमर ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान ग्रामीण मांग में बदलाव उत्साहजनक रहा है। उन्होंने कहा कि नीतिगत सहायता, विकास प्रयासों, कृषि ऋण छूट, उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) और एक ग्रामीण विकास केंद्रित बजटीय प्रक्रिया द्वारा ग्रामीण उपभोक्ताओं के खर्च की क्षमता में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, “इस्पात के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं, खाद्य प्रसंस्करण, ग्रामीण आवास, खाद्य भंडारण, कृषि उपकरण विनिर्माण आदि को कवर करने वाले ग्रामीण क्षेत्र में अपार अवसर उपलब्ध हैं। बढ़ती ग्रामीण अर्थव्यवस्था इस्पात के अधिक उपयोग के नए अवसर खोल रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन, एमएसपी जैसे महत्वपूर्ण सरकारी योजनाएं जीवन को बेहतर बना रही हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में इस्पात का अधिक उपयोग भी शामिल है।” उन्होंने कहा कि ऊर्जा, डेयरी, मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि-उपकरण आदि जैसे अन्य क्षेत्रों में विकास का ग्रामीण क्षेत्रों में इस्पात की खपत पर सकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र में इस्पात की आवश्यकता को देखने और घरेलू इस्पात उत्पादन की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक कार्यदल के गठन का भी सुझाव दिया। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू इस्पात के अधिक उपयोग के लिए बेहतर समन्वय, योजनाबद्ध दृष्टिकोण तैयार हो सकेगा। श्री तोमर ने उम्मीद जताई कि आज की चर्चा में प्रमुख विकास अभियानों, मुद्दों, चुनौतियों और ग्रामीण क्षेत्र में घरेलू इस्पात उपयोग को बढ़ावा देने के अवसरों के बारे में उपयोगी अंतर्दृष्टि मिलेगी।
इस अवसर पर श्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमारी सरकार ने ग्रामीण परिदृश्य को बदलने के लिए कई पहल की है। ‘आत्मानिर्भर भारत: फ़ॉस्टरिंग स्टील यूज़ इन रूरल इकोनॉमी’ पर वेबिनार का आयोजन ग्रामीण अर्थव्यवस्था में लौह और इस्पात क्षेत्र के लिए उपलब्ध विशाल क्षमता का दोहन करने के लिए किया गया है जो बहुत तेज़ दर से बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि वेबिनार उद्योग और हितधारकों को ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सरकार का ध्यान केंद्रित करने के कारण इन क्षेत्रों में इस्पात की भविष्य की आवश्यकता पर विचार करने के लिए बहुत आवश्यक और प्रभावी मंच प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और कृषि उपज के समर्थन मूल्य, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा) और अन्य सरकारी योजनाओं के तहत रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना, पर्याप्त ऋण उपलब्धता के कारण मजबूत ग्रामीण लिक्विडी बरकरार है और प्रतिस्थापन मांग सभी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद कर रही हैं और इसके कारण ग्रामीण क्षेत्र से इस्पात की मांग बढ़ रही है।
इस्पात उद्योग के प्रमुख, इस्पात, ग्रामीण विकास, कृषि और किसान कल्याण, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और मत्स्य पालन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और यूपी, बिहार, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्य सरकारों और सीआईआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने वेबिनार में भाग लिया।