स्वास्थ्य मंत्रालय की टेलीमेडिसिन सेवा ई-संजीवनी ने 9 लाख परामर्श का आंकड़ा पूरा किया

नई दिल्ली : स्वास्थ्य मंत्रालय की राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन की पहल ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में आज 9 लाख डॉक्टरी परामर्श का आंकड़ा छू लिया है। ई-संजीवनी और ई-संजीवनी ओपीडी प्लेटफार्मों के माध्यम से सबसे ज्यादा परामर्श लेने वाले शीर्ष 10 राज्य हैं- तमिलनाडु (2,90,770), उत्तर प्रदेश (2,44,211), केरल (60,401), मध्य प्रदेश (57,569), गुजरात (52,571), हिमाचल प्रदेश (48,187) , आंध्र प्रदेश (37,681), उत्तराखंड (29,146), कर्नाटक (26,906), और महाराष्ट्र (10,903)।

टेलीमेडिसिन वो जगह है जहां दूर बैठे रोगी इंटरनेट के जरिए उपचार करा सकते हैं। ई- संजीवनी पर रियल-टाइम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से दूर-दूर बैठे रोगी, डॉक्टर और विशेषज्ञ बिना किसी रुकावट के बैठक कर सकते हैं। इन दूरस्थ परामर्शों के अंत में इस प्लेटफॉर्म पर एक इलेक्ट्रॉनिक निदान पत्र भी तैयार किया जाता है जिसके आधार पर दवाइयां ली जा सकती हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान दूर-दराज के इलाकों से रोगियों को स्वास्थ्य सेवाएं लेने के लिए सशक्त बनाने के मकसद से इन सेवाओं को शुरू किया गया था और अभी तक स्वास्थ्य मंत्रालय की इस सेवा को 28 राज्य शुरू कर चुके हैं। अब ये राज्य टेलीमेडिसिन सेवाओं की दीर्घकालिक सेवाओं के लिए त्वरित रूप से काम कर रहे हैं।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने ई-संजीवनी को दो रूपों में ल़ॉन्च किया है- पहला (ई-संजीवनी एबी -एचडब्ल्यूसी) जिसमें डॉक्टर से डॉक्टर के बीच में बातचीत औऱ सलाह की सुविधा है और दूसरे में रोगी की डॉक्टर (ई-संजीवनीओपीडी) से परामर्श की सुविधा दी गई है। ई-संजीवनी आयुष्मान भारत-एचडब्ल्यूसी को शुरू हुए अब एक साल हो गया है। आंध्र प्रदेश नवंबर 2019 में इन सेवाओं को शुरू करने वाला पहला राज्य था और तब से विभिन्न राज्यों द्वारा लगभग 240 हब और 5000 से अधिक ऑनलाइन केंद्र स्थापित किए गए हैं। इस सुविधा ने 1,83,000 परामर्श पूरे कर लिए हैं।

ई-संजीवनी ओपीडी जिसकी शुरुआत 13 अप्रैल 2020 को देश में लॉकडाउन के वक्त हुई, ये दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को ऑनलाइन डॉक्टरी परामर्श लेने का साधन है। अब तक इस प्लेटफॉर्म पर 7,16,000 से अधिक परामर्श दर्ज किए गए हैं। 240 से अधिक ऑनलाइन ओपीडी केंद्रों से ये परामर्श दिए गए हैं। इनमें सामान्य ओपीडी और विशेष ओपीडी केंद्र शामिल हैं। ई-संजीवनी के दोनों संस्करण उपयोग और क्षमता व कार्यात्मकताओं के मामले में तेजी से विकसित हो रहे हैं।

पंजाब के मोहाली में सी-डैक में ई-संजीवनी की टीम स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ राज्य की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिए काम कर रही है। मंत्रालय राज्य के साथ इस सेवा को यहां बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है। इसका मकसद राज्य के वंचित वर्ग को स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना है। तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे राज्य भी गरीब और वंचित वर्ग जिनके पास इंटरनेट की पहुंच नहीं है, उन तक ई-संजीवनी की सेवाएं पहुंचाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

सी-डैक मोहाली में ई-संजीवनी टीम राज्यों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों के साथ नियमित रूप से संपर्क में है ताकि समाज के वंचित वर्ग के लिए भी ई-संजीवनी सेवाओं की पहुंच बढ़ाने के लिए रणनीति तैयार की जा सके। कुछ राज्य जैसे तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, गुजरात आदि, गैर-आईटी जानकारों के साथ-साथ उन गरीब रोगियों के लिए भी विभिन्न मॉडलों का प्रयोग कर रहे हैं, जिनके पास इंटरनेट नहीं है।

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