विश्‍वनाथ धाम का निर्माण हाई कोर्ट के आदेश का उल्‍लंघन: शतरुद्र प्रकाश

विकास पाठक, वाराणसी
समाजवादी पार्टी के एमएलसी ने श्रीकाशी विश्‍वनाथ मंदिर विस्‍तारीकरण के तहत (कॉरिडोर) के निर्माण पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय का स्‍पष्‍ट आदेश है कि गंगा के उच्‍चतम बाढ़ बिंदु से 200 मीटर की दूरी में कोई नया निर्माण नहीं होगा। ऐसी स्थिति में विश्‍वनाथ धाम का निर्माण उच्‍च न्‍यायालय के आदेश का खुला उल्‍लंघन है।

बनारस के सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्‍वाकांक्षी परियोजनाओं में शामिल विश्‍वनाथ धाम के लिए 260 भवनों को खरीद कर ध्‍वस्‍त किया जा चुका है। विश्‍वनाथ मंदिर से गंगा तट तक 50 हजार वर्गमीटर एरिया में बनने वाले विश्‍वनाथ धाम का मॉडल भी सामने आ चुका है तो प्रदेश सरकार ने परियोजना के लिए 318 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं। इसी महीने टेंडर के बाद दिसम्‍बर से निर्माण शुरू करने की तैयारी है।

एसपी एमएलसी ने बुधवार को मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि विश्‍वनाथ धाम उच्‍च न्‍यायालय, ग्रीन ट्राइब्यूनल व गंगा नदी प्राधिकरण के निर्देशों का उल्‍लंघन कर बनाया जा रहा है। उच्‍च न्‍यायालय ने जनहित याचिका पर सुनवाई कर वर्ष 2012 में दिए गए फैसले में स्‍पष्‍ट कहा है कि वाराणसी में गंगा के उच्‍चतम बाढ़ बिंदु से 200 मीटर तक कोई भी नया निर्माण नहीं किया जाएगा।

उच्‍च न्‍यायालय के आदेश के अनुपालन में वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा अंगीकृत भवन निर्माण एवं विकास उपविधि 2016 में यह प्रावधान है कि गंगा किनारे 200 मीटर तक एरिया में सिर्फ पुराने भवनों की मरम्‍मत हो सकेगी। कोई नया निर्माण नहीं किया जाएगा। इस आशय का हलफनामा भी उच्‍च न्‍यायालय में कमिश्‍नर, डीएम, विकास प्राधिकरण और नगर निगम की ओर से दिया गया है।

केंद्र सरकार के गंगा मंत्रालय के निर्देश पर गंगा नदी राष्‍ट्रीय प्राधिकरण की ओर से अक्‍टूबर 2016 में जारी अधिसूचना में भी साफ निर्देश है कि गंगा के बाढ़ मैदान में किसी भी प्रकार का कोई नया निर्माण नहीं होगा। एमएलसी शतरुद्र प्रकाश का कहना है कि रोक के बावजूद विश्‍वनाथ धाम बनाया जाना कोर्ट के आदेश का उल्‍लंघन तो है ही, साथ ही इसके बनने से गंगा के पर्यावरणीय स्‍वरूप और उसकी जल संप्रभुता को बेहद नुकसान होगा।

Source: UttarPradesh

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