B- बदमाशों के पास से दो स्विफट कार व एक स्कूटी हुई बरामदB
B- दिल्ली विवि से एमबीए पास युवक ठग कंपनी का मास्टर माइंड B
Bएनबीटी न्यूज, लोनी :B
आधार कार्ड में पता बदलकर बैंकों से लोन के जरिए कार खरीदने के बाद औने-पौने दामों में बेचने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। इस गिरोह के चार बदमाशों को पुलिस ने बंथला के पास से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके पास से नई दो स्विफ्ट कार, एक स्कूटी के अलावा कई आधार कार्ड बरामद किए हैं।
डीएसपी राजकुमार पांडेय ने बताया कि पकड़े गए बदमाशों का मास्टर माइंड दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमबीए पास आउट है। वहीं इनका एक साथी राजस्थान से बी. फॉर्मा किया हुआ है। फर्राटेदार इंग्लिश बोलकर ये सभी लोगों को अपनी बातों में फंसा लेते थे। दो बदमाशों के खिलाफ कविनगर और खोड़ा में भी केस दर्ज है। गाजियाबाद के नवयुग मार्केट में इन्होंने बकायदा एक कंसल्टेंसी कंपनी बनाकर लोगों के साथ धोखाधड़ी करने का जरिया बना रखा था। बदमाशों ने पूरा नेटवर्क फैला रखा था। पुलिस के अनुसार इन बदमाशों के साथ बैंकों के कर्मचारी भी जुड़े हुए हैं। पुलिस को इनके नेटवर्क के और साथियों के बारे में पता चला है। पुलिस उनकी तलाश में संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है।
Bक्या है मामलाB
कोतवाली प्रभारी बिजेंद्र सिंह भड़ाना ने बताया कि मुखबिर से सूचना मिली थी कि फर्जी तरीके से लोन दिलाकर कार बचने वाले गिरोह के कुछ लोग कार से लोनी आ रहे हैं। ये सभी कविनगर थाने के वांछित चल रहे हैं। पुलिस ने बंथला फ्लाईओवर के पास बिना नंबर की कार को रोककर कागजात मांगे तो गाड़ी सवार कागजात नहीं दिखा सके। पुलिस की कड़ी पूछताछ में बदमाशों ने अपना जुर्म कबूल लिया। पकड़े गए बदमाशों ने अपने नाम अंकित, अजीत चौहान, राजकुमार और रजनीश पांडेय बताए। पुलिस ने उनके कब्जे और निशानदेही पर दो स्विफ्ट कार व एक स्कूटी के अलावा कई फर्जी आधार कार्ड बरामद कर शनिवार को जेल भेज दिया।
Bइस तरह काम करता था नेटवर्कB
गिरोह का मास्टर माइंड अजीत चौहान ने बताया कि उसने दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमबीए पास कर रखा है। उन्होंने नवयुग मार्केट गाजियाबाद में साईं कंसल्टेंसी के नाम से ऑफिस बना रखा है। वे लोगों को कार दिलाने के लिए लोन दिलाने का काम करते हैं। कार लेने वाले ग्राहकों से कार की 75 प्रतिशत कीमत में सौदा करते। उनका साथी रजनीश पांडेय कार के खरीदारों को लेकर आता था। बैंकों से लोन दिलाने के सेटिंग उसकी होती थी। आधार कार्ड पर पता बदलने का काम नोएडा के एक जन सूचना केंद्र पर होता था। पता बदलने के बाद कार लेने वाले ग्राहक से डाउन पेमेंट कराते और शोरूम से कार लाकर तीन मासिक किस्त जमा कराकर बाकी रकम खुल ले लेते थे। इस काम में उन्हें एक कार पर करीब 1.5 से 2 लाख रुपये बच जाते थे। उनके साथी राजकुमार और अंकित उसके इस काम में सहयोग करते थे।
Bबैंक पकड़ नहीं पाता था खेलB
कार के खरीदार का पता असली नहीं होता था, इसलिए फाइनैंस करने वाला बैंक या कंपनी पैसा नहीं वसूल पाती थी। कार के खरीदार को 75 प्रतिशत कीमत में कार मिल जाती थी। इस तरह धोखाधड़ी कर बैंकों को चूना लगाया जाता था।
Source: UttarPradesh