महत्वाकांक्षी परियोजना विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) के लिए 13 भवनों के अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू हो गई है। इसके लिए सार्वजनिक नोटिस जारी कर भवनों से संबंधित लोगों से दावा और आपत्ति मांगी गई है। इसमें श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित वह पौराणिक भवन भी शामिल है, जिसे माता गौरा के आवास के रूप में जाना जाता है। इस आवास में भोलेनाथ के तिलक से लेकर महाशिवरात्रि के दिन गौरा संग फेरे और फिर गौने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण के लिए मंदिर से गंगा तट पर करीब 50 हजार वर्ग मीटर एरिया में कॉरिडोर बनाने के लिए 398 करोड़ से 280 भवनों को खरीद कर ध्वस्त किया जा चुका है। फिलहाल 13 भवनों की खरीद शेष है। मंदिर प्रशासन ने इन 13 भवनों के अधिग्रहण के लिए समाचार पत्र में सूचना प्रकाशित कराई है। अधिग्रहण के दायरे में आए भवनों में विश्वनाथ गली के छह, ब्रह्मनाल के चार, त्रिपुरा भैरवी के दो तथा कालिका गली का एक भवन है।
विश्वनाथ मंदिर से सटे महंत परिवार के दो भवन भी अधिग्रहण किए जाने वाले भवनों की सूची में शामिल हैं। इनमें महंत डॉ. कुलपति तिवारी का आवास मंदिर के ठीक सामने है। इस पौराणिक भवन की मान्यता माता गौरा के भवन के रूप में है। मां गौरा के विवाह और विदाई से पहले की सभी रस्में महंत आवास पर ही होती हैं। प्रजापिता दक्ष के स्वरूप में महंत मां गौरा के विवाह की रस्में अदा करते रहे हैं। होली पर्व से पहले रंगभरी एकादशी के दिन महंत आवास अनूठे रंगोत्सव का साक्षी बनता है। दूल्हे के रूप में सजे काशी विश्वनाथ रजत पालकी में सवार होकर मां गौरा का गौना लाने निकलते हैं। इस दिन बाबा विश्वनाथ स्वयं भक्तों के साथ जमकर होली खेलते हैं। रक्षाबंधन पर झूला, अन्नकूट का भोग आदि परंपराए भी इसी आवास में निभाई जाती हैं।
परंपरा टूटने का डर
महंत डॉ. कुलपति तिवारी की तबियत उसी वक्त से खराब है जब भवन के अधिग्रहण की घोषणा हुई थी। उन्हें बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आवास का अधिग्रहण किए जाने से सदमे के चलते वह डिमेंशिया से पीड़ित हैं। सरकार के निर्णय के बाद महंत ने कहा कि हमें भवन नहीं परंपरा के टूटने का डर है। मन पर बोझ सा है कि बाबा की सदियों से चली आ रही परंपराओं का निर्वहन कैसे होगा।
प्रशासन मनमानी कर रहा
विश्वनाथ गली व्यवसायी समिति के अध्यक्ष महेश चंद्र मिश्र का कहना है कि मंदिर प्रशासन मनमानी के साथ परंपराओं के साथ खिलवाड़ कर रहा है। विस्तारीकरण के लिए भवन ना बेचने वालों को अधिग्रहण का भय दिखाया जा रहा है। इसी के चलते महंत कुलपति तिवारी की हालत बिगड़ी है। उन्होंने प्रशासन से सवाल किया कि विश्वनाथ धाम में विश्वनाथ मंदिर के महंत नहीं होंगे तो क्या बाहर से आए लोगों से परंपराओं का संचालन कराया जाएगा?
Source: UttarPradesh