वाराणसी में ओयो के मोबाइल ऐप्लिकेशन से होटल बुक करने और अग्रिम भुगतान करने के बाद भी होटल में कमरा ना दिए जाने के मामले में हाई कोर्ट ने कंपनी के सीईओ के खिलाफ दर्ज पर एफआईआर को रद्द करने से इंकार कर दिया है। हालांकि पुलिस द्वारा चार्जशीट फाइल किए जाने तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।
याचिकाकर्ता सीईओ रितेश अग्रवाल की तरफ से अधिवक्ता कार्तिकेय सरन एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष तिवारी ने बहस की। वहीं प्रतिवादी कौस्तुभ त्रिपाठी की तरफ से अधिवक्ता जयंत कुमार द्विवेदी ने पक्ष रखा। कोर्ट में जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस एसके गुप्ता की कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि मामले की जांच जारी रहेगी और पुलिस द्वारा चार्जशीट फ़ाइल करने तक जांच में सहयोग करने पर याचिकाकर्ता को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।
वाराणसी के लक्सा थाने में दर्ज हुआ था केस
दरअसल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में विधि छात्र कौस्तुभ त्रिपाठी ने ओयो कम्पनी के सीईओ और संस्थापक रितेश अग्रवाल के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक न्यास भंग की धाराओं में वाराणसी के लंक्सा थाने एफआईआर दर्ज करवाई है।
होटल मालिक ने कहा- ओयो से करार नहीं
कौस्तुभ त्रिपाठी ने ओयो के मोबाइल ऐप्लिकेशन से वाराणसी के एक होटल में कमरा बुक किया था। जिसका उन्होंने ऑनलाइन पूरा भुगतान भी कर दिया था, लेकिन होटल पहुंचने पर होटल के मैनेजर ने कमरा देने से मना कर दिया। होटल संचालक ने कहा कि ओयो के साथ उनका कोई करार नहीं है। कमरे के लिए होटल के मैनेजर द्वारा अतिरिक्त पैसों की मांग की गई, साथ ही ओयो द्वारा पैसा रिफंड करने से इंकार कर दिया गया।
Source: UttarPradesh