यूपी उपचुनाव: रिजल्ट से हो जाएगा फैसला, 2022 में कौन पड़ेगा बीस

प्रेम देव शर्मा, मेरठ
उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में किसके सिर होगा ताज और किसका होगा बंटाधार, इसका फैसला गुरुवार को हो जाएगा। खासकर इनमें वेस्ट यूपी की तीन सीटों के परिणाम पर पूरे प्रदेश की नजर है। उपचुनाव को 2022 के विधानसभा चुनाव का सेमीफाइल माना जा रहा है। यह चुनाव सत्ताधारी बीजेपी से ज्यादा विपक्ष के लिए अग्निपरीक्षा माना जा रहा है क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी की टक्कर किस पार्टी से होगी आज इसका फैसला भी हो जाएगा। इसलिए एसपी, बीएसपी और कांग्रेस के लिए यह चुनाव सबसे अधिक अहम है।

वेस्ट यूपी की तीन सीटों के लिए जंग
उपचुनाव में बीजेपी, बीएसपी, एसपी और कांग्रेस ने सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें वेस्ट यूपी की 3 सीटों पर कड़ा मुकाबला है। सहारनपुर की गंगोह सीट पर 11 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला होगा। रामपुर और अलीगढ़ की इगलास सीट पर किस्मत आजमा रहे 7-7 प्रत्याशियों की धड़कनें रिजल्ट आने तक घटती-बढ़ती रहेंगी।

बीजेपी: सभी सीटों पर जीत दर्ज कर पाएंगे योगी?
बीजेपी यूपी और केंद्र की सत्ता पर काबिज है। ऐसे में पार्टी के सामने सभी 11 सीटों के साथ वेस्ट यूपी की 3 सीटों पर जीत हासिल करना और अपने वर्चस्व को बरकरार रखने की चुनौती है। वेस्ट यूपी में गन्ना भुगतान की लड़ाई, मुआवजे के लिए किसानों की जंग, कानून व्यवस्था के सवालों से जूझ रही सरकार के सामने अगर पार्टी को हार मिलती है तो विपक्ष और अधिक हमलावर होगा। सरकार के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलनों की धार और अधिक मुखर होगी। सीएम योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव के नेतृत्व पर भी सवाल उठने शुरू हो जाएंगे। लेकिन सभी सीटों पर जीत की स्थिति में योगी प्रदेश ही नहीं, देश में भी ताकतवर बनकर उभरेंगे। इस उपचुनाव रिजल्ट से यह तय हो जाएगा कि विपक्ष उनके सामने चुनौती देने के लायक है भी या नहीं।

बीएसपी: लोकसभा जैसी जीत दोहरा पाएंगी मायावती?
2009 के बाद पहली बार है कि बीएसपी मैदान में उतरी है। ऐसे में बीएसपी लिए यह उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस चुनाव के नतीजे ही मायावती का सियासी भविष्य तय करेंगे। एसपी से गठबंधन कर लोकसभा की 10 सीटें जीतने में बीएसपी भले ही कामयाब रही, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद अब एसपी-बीएसपी की राहें अलग-अलग हैं। अगर बीएसपी को जीत मिलती है तो माना जाएगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में वही बीजेपी को टक्कर दे सकती है। समाजवादी पार्टी का मजबूत मुस्लिम वोट बैंक बीएसपी की तरफ शिफ्ट हो सकता है। हार की स्थिति में पार्टी का बचा-खुचा जनाधार भी टूट सकता है। परंपरागत दलित वोट अन्य दलों में छिटक सकता है।

एसपी: खोई सियासी ताकत वापस ला पाएंगे अखिलेश?
उपचुनाव के रिजल्ट से तय हो जाएगा कि अखिलेश बीएसपी पर भारी पड़ेंगे कि नहीं। अगर इस उपचुनाव में एसपी नंबर दो की स्थिति हासिल करती है तो ही आगामी विधानसभा चुनाव के फाइनल में पार्टी नंबर एक की लड़ाई के लिए जमीन तैयार कर पाएगी। अगर अखिलेश की पार्टी बीएसपी से कम सीट, वोट परसेंट कम लाती है तो मुस्लिम वोट पूरी तरह से बीएसपी या कांग्रेस में छिटकने का खतरा पैदा हो सकता है। ऐसे में एसपी के सामने वजूद का संकट खड़ा हो सकता है। लोकसभा चुनाव में परिवार की कई सीटें गंवा देने के बाद इस उपचुनाव में पार्टी की जीत संजीवनी का काम का काम करेगी। अखिलेश के सामने पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में खोई हुई सियासत को वापस लाने की चुनौती है। उपचुनाव का रिजल्ट एसपी के सियासी भविष्य की राह को तय कर देगा।

कांग्रेस: इस बार चलेगा प्रियंका गांधी का जादू?
कांग्रेस लंबे वक्त से यूपी की सत्ता से दूर है। इस बार के लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस को यूपी में करारी हार का सामना करना पड़ा। अब यह उपचुनाव प्रियंका गांधी के यूपी प्रभारी बनने के बाद दूसरी अग्निपरीक्षा है। लोकसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी इस उपचुनाव में पूरी ताकत से उतरी है। पार्टी की जीत से कार्यकर्ताओं में नए उत्साह का जन्म होगा और वे आगामी विधानसभा चुनाव के लिए नई ताकत के साथ मैदान में होंगे। हार की स्थिति में प्रियंका गांधी के नेतृत्व और क्षमता पर भी सवाल उठेंगे। पार्टी और भी कमजोर होगी।

Source: UttarPradesh

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *