आसान नहीं होता, टीम से अंदर-बाहर होना: केएल राहुल

गौरव गुप्ता, नई दिल्ली
शायद अब टेस्ट क्रिकेट में चयनकर्ताओं के लिए विकल्प नहीं होंगे। लेकिन टी20 क्रिकेट में अपनी शानदार परफॉर्मेंस के बाद उन्होंने चयनकर्ताओं को ‘खुशनुमा सिरदर्द’ जरूर दे दिया है। उस खिलाड़ी के लिए यह कभी भी आसान नहीं होता है, जब उसे किसी खिलाड़ी के बदले रिप्लेसमेंट के तौर टीम प्लेइंग इलेवन में शामिल किया जाए। लेकिन राहुल को शिखर धवन के चोटिल होने के बाद ओपनिंग पर मौका मिला तो उन्होंने भारतीय बैटिंग की सरपट दौड़ती हुई गाड़ी में खुद को अहम चक्का साबित किया है।

वानखेड़े के मैदान पर बुधवार की रात 27 वर्षीय केएल राहुल ने 56 बॉल में 91 रन की बेहतरीन पारी खेली। इस दौरान उन्होंने अपने जोड़ीदार रोहित शर्मा के साथ पहले विकेट के लिए 135 रन की साझेदारी निभाई और इसके बाद तीसरे विकेट के लिए कप्तान विराट कोहली के साथ वह पारी के अंतिम ओवर तर क्रीज पर थे। विराट को साथ भी राहुल ने आउट होने से पहले 95 रन की अहम साझेदारी निभाई। राहुल, रोहित और विराट की शानदार बैटिंग की बदौलत टीम इंडिया ने सीरीज के इस निर्णायक मैच में वेस्ट इंड़ीज को 67 रन से मात दी।

इन दिनों राहुल अपने बैट से शानदार परफॉर्मेंस कर रहे हैं। पिछले 4 टी20 इंटरनैशनल्स में उन्होंने तीन हाफ सेंचुरी जड़ी हैं, जिनमें से 2 हाफ सेंचुरी मैच में अहम मौकों पर सामने आई हैं। इस 27 वर्षीय खिलाड़ी को प्लेइंग इलेवन में शिखर धवन के चोटिल होने के कारण जगह मिली, तो उन्होंने यह मौका दोनों हाथों से उठाया। उनकी इस शानदार बैटिंग के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या धवन के चोट से उबरने के बाद ओपनर के रूप में पहली पसंद वही होंगे, जो इन दिनों टी20 क्रिकेट में संघर्ष करते दिख रहे हैं या फिर केएल राहुल को उन पर तरजीह मिलेगी।

निश्चित रूप से केएल राहुल के यह आसान परिस्थिति नहीं रही होगी, क्योंकि वह बीते कुछ समय से लगातार टीम से अंदर-बाहर होते रहे हैं। टीम में वापस आते ही उनसे शानदार परफॉर्मेंस की आस की जाती है। इस सवाल पर राहुल ने कहा, ‘मैं यह नहीं कहूंगा कि मैं यह (दबाव) बिल्कुल महसूस नहीं करता। निश्चितरूप से, टीम से अंदर-बाहर होते रहना किसी भी खिलाड़ी के लिए आसान नहीं होता।’

राहुल ने कहा, ‘आप इंटरनैशनल स्तर पर और किसी भी विरोधी टीम के खिलाफ दबाव झेलने के लिए थोड़ा-बहुत समय लेते हैं और ऐसी कोई भी विरोधी टीम नहीं है, जिनके खिलाफ आप बैटिंग पर आएं और आसानी रन बना दें, इसलिए यह हमेशा मुश्किल होता है। यह खेल कॉन्फिडेंस पर टिका है, जब कोई अच्छे फॉर्म में और अच्छी लय में हो तब वह टीम से बाहर बैठकर सिर्फ तैयारी नहीं कर सकता।’

राहुल ने भी भारतीय टीम में अपनी वापसी सुनिश्चित करने के लिए वही किया, जो सभी खिलाड़ी हमेशा से करते आए हैं। वह अपने राज्य की टीम में गए और घरेलू क्रिकेट में उन्होंने फिर से अपनी बल्लेबाजी की कीमत को समझाया। राहुल ने टीम इंडिया में वापसी से पहले सैयद मुश्ताक अली ट्रोफी में 52.16 के औसत से 313 रन बनाए, जिनमें तीन हाफ सेंचुरी भी शामिल हैं।

सीरीज खत्म होने बाद अपनी शानदार फॉर्म पर बात करते राहुल ने कहा, ‘मेरे विचार बहुत साधारण हैं। मैं उतनी ज्यादा मेहनत करना पसंद करता हूं, जितनी मैं कर सकता हूं, मैं घंटों तक नेट्स में बिताता हूं। जब मैं फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलता था, तब मैं अपनी क्षमताएं बेहतर बनाने पर काम करता था और क्रीज पर वक्त बिताने का प्रयास करता था। दोबारा जब मुझे यही अवसर मिला, मैंने यही दोहराने का प्रयास किया।’

Source: Sports

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