ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत पिछले साल से चार स्थान पिछड़कर 108 से 112वें नंबर पर पहुंच गया है। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की ओर से जारी ताजा सूचकांक में 153 देशों के नाम शामिल हैं। खास बात यह है कि भारत ने इस मामल में बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका से भी खराब प्रदर्शन किया है जो इस रैंकिंग लिस्ट में क्रमशः 50वें, 101वें और 102वें स्थान पर हैं।
बड़ी बात यह है कि बांग्लादेश ने लग्जमबर्ग, अमेरिका और सिंगापुर से भी अच्छा प्रदर्शन किया है। दक्षिण एशियाई देशों में सिर्फ मालदीव और पाकिस्तान क्रमशः 123वें और 151वें स्थान पर रहते हुए भारत से पीछे हैं। विभिन्न पैमानों को आधार बनाते हुए यह रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण एशिया को लैंगिक समानता का लक्ष्य हासिल करने में 71 वर्ष लगेंगे।
वैश्विक स्तर पर रेग्युलर जॉब्स के मामले में हर तीन पुरुष पर दो महिलाओं का औसत है जबकि भारत में यह आंकड़ा हर तीन पुरुष पर एक महिला का है। भारत में सिर्फ एक ही जॉब है जिसमें पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा हैं। वह है- एचआर।
रिपोर्ट कहती है कि पहले इस सूची में भारत की स्थिति इसलिए सुधरी थी क्योंकि तब सरकार का नेतृत्व एक महिला कर रही थी। हालांकि, सच्चाई यह है कि पिछले 35 वर्षों में राष्ट्रपति के रूप में प्रतिभा पाटिल के अलावा दूसरी कोई महिला न राष्ट्रपति बनी और न ही प्रधानमंत्री। रिपोर्ट कहती है कि 153 देशों के अध्ययन में भारत ऐसा अकेला देश निकला जहां राजनीतिक से बड़ी आर्थिक लैंगिक समानता है। कंपनी बोर्डों में भी यही देखने को मिलता है जहां बोर्ड मेंबर्स में महज 13.8% महिलाएं हैं।
Source: National