हरितालिका तीज के मौके पर पूजे जाने वाले शिव-पार्वती एक ही विग्रह में होते हैं। साथ ही देवी पार्वती की गोद में भगवान गणेश भी विराजमान रहते हैं। गंगा मिट़्टी से बने शिव-पार्वती के विग्रह को प्रतिष्ठित करने के लिए केले के खंभों से मंडप बनाया जाता है। तरह-तरह के सुगंधित पुष्पों से साज-सज्जा की जाती।
प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व ही जागकर नित्यकर्मों से निवृत्त होने के बाद पूरे आस्था के साथ इस व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद पूजा की तैयारी करें और मांपार्वती का ध्यान करें। पूजन के दौरान मन्त्रों में विशेषकर- “ऊॅ पार्वत्यै शान्ति स्वरूपिण्यै शिवायै नम इस मन्त्र से गौरी का और ऊॅ महादेवाय नमः मन्त्र से भगवान शिव की स्तुति करते हुए उनकी स्थापना करें।
उसके बाद तन, मन और धन सामर्थ्य के अनुसार पूजा एवं दान करें। इससे अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पूजा में गणेश जी को लड्डू का भोग अवश्य लगाएं। हरितालिका तीज के दिन कुंवारी कन्याओं को शीघ्र विवाह एवं मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए सौन्दर्यलहरी या पार्वती मंगल स्तोत्र का पाठ करना लाभदायक माना जाता है। पार्वती मंगल स्तोत्र का पाठ करने से पहले सुहागिन महिला, कुंआरी कन्या को अभीष्ट फल की प्राप्ति के लिए अपने गोत्र और नाम का उच्चारण कर, जल से संकल्प लेकर ही पाठ करना चाहिए। इस व्रत का विधान आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति की प्राप्ति, चित्त और अन्तरात्मा की शुद्धि, संकल्प शक्ति की दृढ़ता, वातावरण की पवित्रता के लिए लाभकारी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत के द्वारा व्रती अपने भौतिक एवं पारलौकिक संसार की व्यवस्था करता है ।
इसके पूर्व या उत्तर मुख होकर हाथ में जल,चावल, सुपाड़ी पैसे और पुष्प लेकर इस मांगलिक व्रत का संकल्प लें। इस दिन यथासम्भव मौन रहने का प्रयास करें, इससे आन्तरिक शक्ति में वृद्धि होगी। व्रत करते हुए दिन में सोने (शयन) से परहेज करें। भगवान शिव की आराधना में धूप, दीप, गन्ध, चन्दन, चावल, विल्वपत्र, पुष्प, शहद, यज्ञोपवीत,धतूरा, कमलगट्टा,आक का फल या फूल का प्रयोग करें। पूजन के दौरान अगर सुहागिन स्त्रियां श्रृंगार की वस्तुएं और पीताम्बर रंग की चुनरी चढ़ायें तो उनकी मनोकामना पूर्ण होगी।
पुराणों के अनुसार इस दिन घर या मन्दिर को मण्डपादि से सुशोभित कर पूजा सामग्री एकत्र करें ।इसके बाद कलश स्थापन कर हर- गौरी की स्थापना करके- –उॅ उमायै नमः, पार्वत्यै नमः, जगद्धात्रयै नमः, जगत्प्रतिष्ठायै नमः, शान्तिस्वरूपिण्यै नमः, शिवायै नमः और ब्रह्मरूपिण्यै नमः से भगवती उमा का और महादेव का नाम मन्त्रों से पूजन कर निम्नलिखित मन्त्र से प्रार्थना करें-
देवि- देवि उमे गौरि त्राहि मां करूणानिधे ।
ममापराधः क्षन्तव्या भुक्ति- मुक्ति प्रदा भव ।।
दूसरे दिन पूर्वाह्न में पारणा कर व्रत सम्पन्न करें ।
(साभार : लाइव हिंदुस्तान )