MPPSC: प्री पेपर से हटे भील पर विवादित सवाल

इंदौर/भोपाल
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) की परीक्षा में भील समाज को लेकर पूछे गए पांच विवादित सवालों को हटा दिया गया है। आयोग की ओर से इस संदर्भ में मंगलवार को अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। एमपीपीएससी द्वारा 12 जनवरी को आयोजित प्रारंभिक परीक्षा के द्वितीय प्रश्न पत्र में भील समाज को लेकर गद्यांश दिया गया था और पांच सवाल भी पूछे गए थे।

इन अजीबोगरीब सवालों के चलते प्रश्नपत्र पर विवाद हो गया था क्योंकि इस गद्यांश में भील समाज की निर्धनता का हवाला देते हुए सवाल पूछे गए थे और इस वर्ग को आपराधिक प्रवृत्ति का बताया गया था। एमपीपीएससी के सवाल से राज्य की सियासत में गर्माहट आ गई थी। लगातार बयानबाजी हो रही थी और इसके लिए सीधे तौर पर आयोग को जिम्मेदार ठहराया जा रहा था।

मंगलवार को आयोग ने अधिसूचना जारी करते हुए भील समाज से जुड़े गद्यांश के आधार पर पांचों प्रश्नों को हटा दिया गया है। परीक्षा के नतीजों के लिए अब अंकों की गणना किस तरह की जाएगी, इसका खुलासा अभी आयोग ने नहीं किया है। आयोग ने विवादित प्रश्नों को हटाकर राज्य में शुरू हुई सियासी बयानबाजी को खत्म करने की कोशिश की है। वहीं परीक्षार्थी विलोपित किए गए प्रश्नों के बोनस नंबर दिए जाने की मांग कर रहे हैं।

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क्या था विवाद
मध्य प्रदेश में 12 जनवरी को एमपीपीएससी प्री एग्जाम हुए थे। प्रश्नपत्र में एक अनसीन पैसेज आया था जिसमें भील जनजाति को आपराधिक और शराबी बताया गया। इस पर बीजेपी के विधायक ने कड़ी आपत्ति जाहिर की थी। दांगोरे ने कहा, ‘प्रश्नपत्र में पूछा गया कि भील समुदाय पूरी तरह से शराब के नशे में डूबा है। पीएससी के एग्जाम में इस तरह के सवाल कैसे पूछे जा सकते हैं? हमें टारगेट किया जा रहा है।’

बीजेपी विधायक ने कहा, ‘मैं एक अध्यापक हूं और भील जनजाति से ताल्लुक रखता हूं। हमारा एक लंबा इतिहास है और हमने स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मैं प्रश्नपत्र में भील जनजाति को लेकर किए गए आपत्तिजनक सवाल से हैरान रह गया।’ बता दें कि भारत में भीलों की आबादी 1.6 करोड़ के करीब है, जिनमें से मध्य प्रदेश में तकरीबन 60 लाख की आबादी निवास करती है। यह देश में प्रभावशाली जनजाति है।

Source: National

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