(वीएचपी) अपने प्रस्तावित मॉडल की तर्ज पर ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण चाहता है। इससे अलग हटकर को कोई दूसरा मॉडल मंजूर नहीं होगा। अयोध्या राम मंदिर पर का फैसला आने के बाद पहली बार माघ मेले में 20 और 21 जनवरी को होने जा रहे वीएचपी के आयोजन में इसी मॉडल की तर्ज पर मंदिर निर्माण को लेकर साधु-संत अपनी अंतिम मुहर लगाएंगे। वीएचपी के शिविर में 20 जनवरी को केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक होने जा रही है। वहीं, 21 जनवरी को संत सम्मेलन का आयोजन होगा। जिसमें केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में पास किए गए कई प्रस्तावों पर मुहर लगेगी।
ऐसा माना जा रहा है कि राम मंदिर का फैसला आने के बाद आयोजित होने जा रही वीएचपी केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक और संत सम्मेलन के बाद राम मंदिर निर्माण की तारीख का भी ऐलान हो सकता है। इसके साथ ही मंदिर किस मॉडल पर बनेगा, इसको लेकर भी साधु-संत कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं।
इसी मॉडल के जरिए वीएचपी ने चलाया था जन जागरण अभियान
वीएचपी के प्रांत संगठन मंत्री मुकेश कुमार की मानें तो इसी प्रस्तावित मॉडल के जरिए वीएचपी ने राममंदिर को लेकर पूरे देश में जनजागरण अभियान चलाया था, इसलिए इसी मॉडल के आधार पर ही मंदिर का निर्माण होना चाहिए। इस बैठक से पहले प्रस्तावित राम मंदिर का मॉडल भी माघ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रखा गया है। हालांकि, अभी तक यह मॉडल कुंभ मेले के दौरान ही प्रयागराज में रखा जाता रहा है। पहली बार माघ मेले में राम मंदिर के प्रस्तावित मॉडल को रखा गया है।
वीएचपी ने 8 अक्टूबर 1984 को अयोध्या से राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत की थी। जिसके बाद 1989 में प्रस्तावित मॉडल भी वीएचपी ने संतों से स्वीकृत करा लिया था और इसी मॉडल के जरिए वीएचपी ने राम मंदिर को लेकर पूरे देश में जनजागरण अभियान भी चलाया था। पहली बार प्रस्तावित राम मंदिर का मॉडल 2001 के कुंभ में श्रद्धालुओं के लिए लाया गया था। उसके बाद से 2007, 2013 और 2019 के कुंभ के दौरान भी यह मॉडल प्रयागराज में रखा गया था लेकिन राममंदिर पर फैसला आने के बाद यह पहला मौका होगा जब राम मंदिर का मॉडल माघ मेले में रखा गया है। जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में राम भक्त भी यहां पहुंच रहे हैं।
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