बाबा विश्‍वनाथ के गौना उत्‍सव की सदियों पुरानी परंपरा अब इतिहास बनेगी

विकास पाठक, वाराणसी
भोले की नगरी काशी में महाशिवरात्रि और रंगभरी एकादशी का पर्व तो हर साल मनाया जाएगा लेकिन इस मौके पर सदियों से चली आ रही खास परंपराएं अबकी अंतिम बार निभाई जाएंगी। इसके बाद भोलेनाथ के तिलक से लेकर महाशिवरात्रि के दिन विवाह और फिर रंगभरी एकादशी के दिन निकलने वाली बाबा की गौना बारात इतिहास में दर्ज हो जाएगी।

काशी विश्‍वनाथ मंदिर से गंगा तट तक करीब 50 हजार वर्ग मीटर एरिया में बनने वाले विश्‍वनाथ धाम (कॉरिडोर) के दायरे में मंदिर के महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी का वह आवास भी आया है, जहां तीन शताब्‍दी से बाबा के विवाह तथा गौना बारात की रस्‍म निभाई जाती रही है। इस पौराणिक भवन की मान्‍यता माता गौरा के भवन के रूप में है। मंदिर प्रशासन ने इस भवन को खरीद लिया है और खाली करने के लिए रंगभरी एकादशी तक मोहलत दी है।

ऐसे में वसंत पंचमी पर वासंती उल्‍लास के बीच गौरा भवन में काशीपुराधिपति का तिलक उत्‍सव, महाशिवरात्रि पर बाबा की बारात और होली के पर्व से पहले रंगभरी एकादशी के दिन दूल्‍हे के रूप में सजे बाबा की गौना बारात अंतिम बार निकलेगी। मान्‍यता है कि इस दिन बाबा विश्‍वनाथ स्‍वयं भक्‍तों के साथ जमकर होली खेलते हैं। इसी के साथ रक्षाबंधन पर झूला, अन्‍नकूट भोग आदि परंपराएं भी किताबों में ही पढ़ने को मिलेगी।

महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने बताया कि काशीपुराधिपति श्रीकाशी विश्‍वनाथ के विवाहोत्‍सव के निमित्त परंपरा के तहत होने वाले सभी अनुष्‍ठान तथा रस्‍मों को हर बार से ज्‍यादा भव्‍यता प्रदान की जाएगी। इसमें आने के लिए वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद, यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ समेंत तमाम विशिष्‍टजनों को आमंत्रण भेजा जाएगा।

प्रतिमा के लिए स्‍थान मांगा
महाशिवरात्रि पर बाबा की पंचवदन प्रतिमा के और गौना उत्‍सव में शिव परिवार के रजत पालकी पर दर्शन होते हैं। पंचवदन प्रतिमा के निवास के लिए महंत डॉक्टर कुलपति तिवारी ने विश्‍वनाथ धाम में ही स्‍थान मांगा है। मंदिर प्रशासन इसके लिए सहमत हो गया है, लेकिन अभी सहमति पत्र मिलना बाकी है। महंत का कहना है कि वह कॉरिडोर के दायरे से भले ही बाहर चले जाएं लेकिन बाबा को इससे बाहर कैसे ले जा सकता हूं। इसलिए मंदिर प्रशासन से जगह मांगी है।

Source: International

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