ऐसे समय में जब नागरिकता कानून को लेकर बहस चल रही है पाकिस्तान में जन्मीं नीता कंवर टोंक में पंचायत की नई सरपंच बन गई हैं। टोंक की नटवारा ग्राम पंचायत से चुनाव लड़ने वाली नीता कंवर का जन्म पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुआ था और अब वह टोंक की ग्राम पंचायत की सरपंच चुनी गई हैं। साल 2001 में सिंध से जोधपुर आईं नीता को 19 साल बाद भारत की नागरिकता मिली थी। इसके बाद उन्होंने अपने ससुर की पंचायत सीट से नामांकन कर चुनावी मैदान में दावेदारी की।
नीता अपनी बड़ी बहन अंजना सोढा के साथ सिंध के मीरपुर-खास से जोधपुर आई थीं। सितंबर 2019 में नागरिकता मिलने के बाद 17 जनवरी को नीता ने राजस्थान में पंचायत चुनावों के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। इस चुनाव के परिणामों में नीता की विजय हुई और उन्हें 1035 वोट मिले। नीता ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी सोनू देवी को 362 वोटों से पराजित किया।
अपनी जीत के बाद खुद को गांव की बहू बताते हुए नीता ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह गांव की सरपंच बनेंगी। नीता ने कहा, मुझे गर्व है कि मैं इस गांव की बहू हूं और मेरे परिवार और गांव के लोगों ने मेरा इतना साथ दिया है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इस गांव की सरपंच बनूंगी। ये जरूर था कि मैं बचपन से गरीबों के लिए काम करना चाहती थी।
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पांचवें आवेदन में मिली नागरिकता
नीता ने कहा कि उन्होंने जब भारत आने के बाद नागरिकता के लिए आवेदन किया तो चार बार उनका आवेदन रिजेक्ट कर दिया गया। पांचवें बार में अर्जी स्वीकार तो हुई लेकिन इसके लिए उन्हें काफी भटकना भी पड़ा। नीता ने कहा कि टोंक में नागरिकता के अप्लाई करने वाले लोगों में वह सबसे पहली थीं। ऐसे में कार्रवाई को पूरा करने के लिए उन्हें तमाम दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े और कई बार जयपुर तक भी जाना पड़ा।
महिलाओं की शिक्षा और चिकित्सा प्राथमिकता
नीता ने बताया कि वह महिला सशक्तिकरण और लोगों को अच्छी शिक्षा देने की दिशा में काम करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि वह गांव में अच्छी चिकित्सा सुविधाओं का भी इंतजाम करना चाहती हैं, जिससे कि गांव के लोगों को चिकित्सा की मूलभूत जरूरतों के लिए भी गांव से बाहर ना जाना पड़े।
Source: National