सीएए के अलावा नई याचिका में पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) संशोधन नियम 2015, पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) संशोधन नियम 2016, विदेशी (संशोधन) आदेश 2015, विदेशी (संशोधन) आदेश 2016, नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र का मुद्दा) नियम, 2003 और नागरिकता नियम 2009 को निरस्त करने की मांग की गई है।
न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि केंद्र का पक्ष सुने बगैर संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगायी जाएगी। न्यायालय ने कहा कि इस कानून की वैधता के बारे में 5 सदस्यीय संविधान पीठ फैसला करेगी। नई याचिका में याचिकाकर्ताओं ने कानून और न्याय, गृह, विदेश और रक्षा मंत्रालयों को प्रतिवादी बनाया है।
याचिका में दावा किया गया कि ये कानून संविधान के अधिकार के दायरे के बाहर हैं और देश के लोगों से ‘छल’ करने का प्रयास हैं। इसमें आरोप लगाया गया है कि 10 जनवरी 2020 की अधिसूचना के जरिए लागू , 2019 एनआरसी लागू कराने की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है और इसका साफ इरादा मुस्लिमों सहित नागरिकों के सभी पिछड़े वर्ग को डिटेंशन सेंटर में पहुंचाना और उन्हें मुख्यधारा से हटाना है। इस तरह देश का मौजूदा तानाबाना बिगड़ सकता है। इसमें कहा गया है कि संशोधित नागरिकता कानून अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) का उल्लंघन करता है।
Source: National