बिहार के मुख्यमंत्री ने गंगा की अविरलता और निर्मलता के मुद्दे पर नालंदा की साध्वी पद्मावती द्वारा हरिद्वार में किए जा रहे अनशन की सुध ली है। नीतीश ने गंगा की अविरलता के लिए आमरण अनशन पर बैठीं बिहार की बेटी के अनशन को समाप्त कराने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को उनकी निर्मल गंगा के प्रति प्रतिबद्धता की भी याद दिलाई है।
नीतीश कुमार ने आमरण अनशन पर बैठीं साध्वी पद्मावती से मिलने के लिए बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा और नालंदा के सांसद कौशलेंद्र कुमार को हरिद्वार भेजा। दोनों नेता गुरुवार को साध्वी पद्मावती से मिले और बंद लिफाफे में मुख्यमंत्री का संदेश भी उन्हें दिया।
बिहार सरकार के निर्णयों के बारे में भी बताया
पीएम मोदी को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने 25-26 फरवरी 2017 को पटना में आयोजित ‘अविरल गंगा’ और 18-19 मई 2017 को दिल्ली में आयोजित ‘गंगा की अविरलता में बाधक गाद : समस्या एवं समाधान’ विषय पर सम्मेलन का जिक्र किया है। उन्होंने बिहार सरकार द्वारा उठाए गए निर्णयों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है। नीतीश ने साथ ही कहा है कि इन दोनों सम्मेलनों को पटना घोषणा पत्र और दिल्ली घोषणा पत्र के नाम से जाना जाता है और इन घोषणा पत्रों को आवश्यक कार्रवाई के लिए शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार को भेजा गया।
अविलंब समाप्त कराएं साध्वी का अनशन: नीतीश
नीतीश ने पत्र में कहा, ‘अब मुझे अवगत कराया गया है कि गंगा की अविरलता और निर्मलता के मुद्दे पर नालंदा, बिहार की साध्वी पद्मावती हरिद्वार स्थित मातृ सदन आश्रम में 15 दिसंबर, 2019 से अनशन पर बैठी हैं। लंबे समय से जारी अनशन के कारण उनका स्वास्थ्य बिगड़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है, इसलिए अविलंब हस्तक्षेप कर अनशन समाप्त कराने की आवश्यकता है।’
साध्वी पद्मावती ने अनशन खत्म करने से किया इनकार
दूसरी ओर, बिहार से आए दोनों नेताओं ने भी अनशन समाप्त करने के लिए साध्वी पद्मावती और मातृ सदन के स्वामी शिवानंद सरस्वती से आग्रह किया, लेकिन साध्वी पद्मावती ने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार झूठे वादे कर रही है, इसलिए वह अनशन समाप्त नहीं करेंगी। अनशन तभी समाप्त होगा जब सारी मांगे मान ली जाएंगी।
चार जल विद्युत परियोजनाओं को निरस्त करने की मांग
उल्लेखनीय है कि साध्वी पद्मावती गंगा रक्षा के लिए ऐक्ट बनाने की मांग को लेकर 15 दिसंबर, 2019 से अनशन पर बैठी हैं। उन्होंने उत्तराखंड में प्रस्तावित चार जल विद्युत परियोजनाओं को तुरंत निरस्त करने की भी मांग की है। उनका कहना है कि बार-बार वादा करने के बाद भी गंगा में समुचित जल नहीं छोड़ा जा रहा है।
(एनबीटी रिपोर्टर का इनपुट भी शामिल)
Source: National