स्वामी ने ट्वीट किया, ‘1992 में ही तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने सुभाषचंद्र बोस को भारत रत्न देने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन उन्हें मौत की तिथि को लेकर सहमति नहीं बन पाने की वजह से यह सम्मान नहीं दिया जा सका। नेताजी की फैमिली उनकी मौत की पुष्टि को लेकर सहमत नहीं थी। अब स्वामी का कहना है कि जैसे यह मौत की तारीख कंफर्म हो जाती है, नेताजी को भारत रत्न स्वत: मिल जाएगा।’
आखिर कैसे हुई नेताजी की मौत?उस वक्त यह चर्चा थी कि शायद नेताजी जीवित हैं और 1945 में विमान हादसे में उनकी मौत नहीं हुई। बता दें कि नेताजी की मौत को लेकर अलग-अलग दावे किए जाते रहे हैं। नेताजी की मौत का पता लगाने के कई आयोग बने, लेकिन नेताजी की मौत पर एक राय नहीं बन पाई। कुछ लोग चर्चित गुमनामी बाबा को नेताजी मानते रहे हैं। अयोध्या के रामभवन में लंबे समय तक रहे गुमनामी बाबा उर्फ भगवान जी की पहचान तय करने के लिए बने जस्टिस विष्णु आयोग ने कहा था कि यह पता लगाना मुश्किल है कि गुमनामी बाबा असल में नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एमके मुखर्जी की अगुवाई में 1999 में मुखर्जी आयोग ने नेताजी की कथित गुमशुगदी को लेकर छह साल लंबी जांच की। आयोग ने यह निष्कर्ष निकाला कि नेताजी को बचाने को कवर करने के लिए हवाई दुर्घटना के सिद्धांत को गढ़ा गया। कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार ने 2006 में इस आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया।
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