356 सालों में पहली बार गेस्‍ट हाउस में होगा बाबा विश्‍वनाथ का तिलकोत्‍सव

विकास पाठक, वाराणसी
उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित विश्वनाथ मंदिर में इस बार के विवाहोत्‍सव से जुड़ी सदियों पुरानी परंपराएं नए रूप में दिखाई देंगी। 356 वर्षों के इतिहास में पहला मौका होगा, जब बसंत पंचमी के दिन यानी 30 जनवरी को बाबा का तिलकोत्‍सव ‘गौरा भवन’ की मान्‍यता वाले महंत आवास से अलग एक गेस्‍ट हाउस में होगा। रजत सिंहासन की जगह गंगा मिट्टी और कुश से बने आसन पर बाबा विराजमान होंगे और तिलकोत्‍सव की रस्‍म निभाई जाएगी।

बारह ज्‍योर्तिलिंगों में प्रधान काशी विश्‍वनाथ के तिलक से लेकर गौरा संग विवाह और की अनूठी परंपराएं सदियों से विश्‍वनाथ मंदिर के ठीक सामने स्थित गौरा भवन में महंत परिवार निभाता आया है। विश्‍वनाथ धाम (कॉरिडोर) के लिए गए भवनों के ध्‍वस्‍तीकरण के दौरान 22 जनवरी को महंत आवास का भी एक हिस्‍सा ध्‍वस्‍त हो जाने से बाबा का रजत सिंहासन, प्राचीन पालकी, रजत झूला सहित कई अन्‍य बहुमूल्‍य चीजें मलबे में दब गई हैं। एक सप्‍ताह का समय बीतने के बाद भी मलबे में दबी कोई सामग्री बाहर नहीं निकाली जा सकी। बाबा की पंचबदन प्रतिमा काशी विश्‍वनाथ के कार्यालय में रखी गई है तो महंत परिवार ने टेढ़ी नीम स्थित गेस्‍ट हाउस में डेरा डाला है।

महंत आवास ध्‍वस्‍त होने से बाबा के तिलकोत्‍सव से लेकर विवाह की अन्‍य रस्‍म परंपराओं पर ग्रहण की आशंका के बीच विद्वानों की राय पर निर्णय हुआ है कि परंपराएं निभाई जाएंगी लेकिन उनका रूप और स्‍थान बदलेगा। महंत परिवार जिस स्‍थान पर निवास कर रहा है, वहीं से परंपरा का निर्वाह किए जाने से पहली बार तिलकोत्‍सव के लिए बाबा को टेढ़ीनीम के गेस्‍ट हाउस जाना होगा। यहीं श्रद्धालु बाबा की पंचबदन रजत प्रतिमा का दर्शन पाएंगे।

गौना बारात के लिए नए स्थान की तलाश जारी
बाबा विश्वनाथ की पंचबदन प्रतिमा 30 जनवरी की सुबह तय मुहूर्त पर महंत परिवार के अस्‍थायी आवास टेढ़ीनीम गेस्‍ट हाउस में लाई जाएगी। रजत सिंहासन मलबे में दबा होने से विकल्‍प में लकड़ी की चौकी पर गंगा मिट्टी और कुश से बने सिंहासन पर बाबा विराजेंगे। इसके बाद षोडशोपचार पूजन और रुद्राभिषेक होगा। दोपहर में भोग, आरती और पूजा के बाद बाबा को नए वस्‍त्र-आभूषण धारण करा श्रृंगार झांकी सजेगी। शाम छह बजे बाबा का तिलक होगा। सात बजे से सांस्‍कृतिक कार्यक्रम में बधाई के गीत गूंजेंगे। अनुष्‍ठान विधान के बाद प्रसाद वितरण होगा। रंगभरी एकादशी के दिन बाबा की गौना बारात की निभाई जाने वाली रस्‍म के लिए नए स्‍थान की तलाश है। नई जगह से अबीर-गुलाल के बीच शिव परिवार की शोभायात्रा निकलेगी, जो विश्‍वनाथ मंदिर गर्भगृह तक जाएगी।

Source: International

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