मुकेश के रास्ते खत्म, फांसी से कितने दूर दोषी?

नई दिल्ली
में सुप्रीम कोर्ट ने आज दोषी मुकेश की दया याचिका को चुनौती देने वाला पिटिशन खारिज कर दिया है। इसके साथ ही मुकेश के पास फांसी से बचने के अब तमाम विकल्प खत्म हो गए हैं। सभी दोषियों की 1 फरवरी को फांसी देने की तारीख तय है। मंगलवार को दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर ने क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की है। आइए जानते हैं कि निर्भया केस में फांसी पाए दोषियों के पास अब कौन से कानूनी विकल्प बचे हैं।

मुकेश सिंह

रिव्यू पिटिशन: जुलाई 2018 में खारिज

क्यूरेटिव पिटिशन: इस महीने खारिज

दया याचिका: 17 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति ने खारिज की। सुप्रीम कोर्ट में इसके बाद लगाई गुहार। 29 जनवरी को सर्वोच्च अदालत ने खारिज की याचिका, अब कोई विकल्प नहीं बचा।

अक्षय ठाकुर

रिव्यू पिटिशन: दिसंबर 2019 में खारिज

क्यूरेटिव पिटिशन: 28 जनवरी 2020 को दाखिल की

दया याचिका: राष्ट्रपति के पास अभी तक नहीं लगाई गुहार, यह विकल्प बचा है।

पढ़ें :

पवन गुप्ता

रिव्यू पिटिशन : जुलाई 2018 में खारिज

क्यूरेटिव पिटिशन : क्यूरेटिव पिटिशन अभी तक नहीं डाली

दया याचिका: यह विकल्प भी अभी बचा है।

विनय शर्मा

रिव्यू पिटिशन: जुलाई 2018 में खारिज

क्यूरेटिव पिटिश: जनवरी 2020 में खारिज

दया याचिका: अभी यह विकल्प बचा है।

राम सिंह
तिहाड़ में ट्रायल के दौरान 11 मार्च 2013 को आत्महत्या कर ली।

जूवेनाइल दोषी
3 साल बाल सुधार गृह में बिताने के बाद 2015 में उसे रिहा कर दिया गया। जूवेनाइल दोषी की लोकशन जाहिर नहीं की गई है क्योंकि उसकी जान को खतरा है।

पढ़ें :

दिल्ली जेल कानून क्या कहता है
जेल कानून के तहत दया याचिका खारिज होने के बाद दोषी को फांसी से पहले 14 दिन का वक्त दिया जाता है। अगर एक ही मामले में कई दोषी करार हैं और सबको फांसी की सजा मुकर्रर है तो फांसी एक साथ ही हो सकती है।

वॉरंट जारी होने के बाद टली फांसी
दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने 22 जनवरी को डेथ वॉरंट जारी किया था। इसके बाद दोषियों ने कानूनी तिकड़म का सहारा लिया और डेथ वॉरंट 1 फरवरी तक टालने में कामयाब रहे।

Source: National

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *