उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के एक गांव के लोग बनकर घूमने को मजबूर हैं। दरअसल, गांव में हजारों बंदरों के आतंक से लोग परेशान हो चुके हैं। की ओर से भी कोई मदद ना मिल पाने के बाद लोगों ने खुद ही यह तरीका ईजाद किया है। यहां गांव के ही कुछ युवक भालू बनकर बंदरों को डरा रहे हैं। आसपास के गांवों के लोग इस तरीके पर हंसते हैं लेकिन यह कारगर निकला है। इससे सचमुच बंदर डर रहे हैं और गांव से भाग जा रहे हैं।
मामला शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद ब्लॉक के सिकंदरपुर गांव का है। गांव के मुखिया राम ललित वर्मा ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘हमने एक रोस्टर बनाया है, जिसके हिसाब से गांव के हर आदमी को बारी-बारी से कॉस्ट्यूम पहनकर भालू बनना होता है और बंदरों को भगाने के लिए गांव में घूमना होता है। झांसी में रहने वाले एक रिश्तेदार ने मुझे यह तरीका बताया था। हमने पहले इसका एक नमूना देखा, फिर चंदा लगाकर 1700 रुपये कीमत वाले तीन कॉस्ट्यूम खरीदे।’
लगभग 150 लोगों पर बंदरों ने किया था हमला
गांववालों का दावा है कि इस तरीके को अपनाए जाने के बाद से बंदरों के हमले काफी कम हुए हैं। इससे पहले बंदरों ने लगभग 150 लोगों को काट लिया था। ये बंदर खासकर बच्चों को निशाना बना रहे थे। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने पैसों के अभाव में मदद करने में असमर्थता जताई।
शाहजहांपुर के सब-डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर एम एन सिंह ने कहा, ‘जिले में बंदरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पैसों की कमी के चलते हम ज्यादा कुछ कर नहीं पा रही हैं। एक बंदर को पकड़ने में लगभग 600 रुपये का खर्च आता है। आखिरी बार हमें साल 2018 में फंड मिला था तो हमने मथुरा से रेस्क्यू टीम बुलाई थी। फिलहाल हम सिर्फ स्थानीय लोगों को बंदर पकड़ने की अनुमति दे सकते हैं। या फिर किसी एनजीओ की मदद से बंदरों को जंगल में छुड़वा सकते हैं।’
वन विभाग के लोग बोले- तरीका कारगर होगा तो और फैलाएंगे
सिकंदरपुर गांव के लोगों की इस तरकीब के बारे में उन्होंने कहा, ‘हम भी गांव में जाकर इसकी हकीकत देखेंगे। अगर सचमुच यह तरकीब काम कर रही है तो हम इसे बाकी गांवों में भी अपनाने की कोशिश करेंगे और लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे।’
Source: International