हाई कोर्ट ने आगरा यूनिवर्सिटी को दिए निर्देश- फर्जी डिग्री पर शिक्षक बने 3517 लोगों पर लें फैसला

प्रयागराज
इलाहाबाद ने और मार्कशीट पर सहायक अध्यापक की नौकरी कर रहे 3,517 अभ्यर्थियों के मामले में आगरा विश्वविद्यालय को 10 दिन में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि विश्वविद्यालय द्वारा जारी नोटिस में दिया गया 15 दिन का समय बीत चुका है। लिहाजा विश्वविद्यालय 10 दिन में इस मामले पर निर्णय लेकर अदालत में जवाब दाखिल करे।

कोर्ट ने विश्वविद्यालय का जवाब दाखिल होने के बाद याची छात्रों को प्रत्युत्तर दाखिल करने की भी छूट दी है। आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के सैकड़ों छात्रों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जस्टिस एसपी केसरवानी ने दिया है। याचिका में आगरा विश्वविद्यालय द्वारा 28 दिसंबर 2019 को जारी नोटिस को चुनौती दी गई है।

3517 शिक्षकों की डिग्री जांच में फर्जी पाई गई थी
नोटिस में एसआईटी जांच में फर्जी पाए गए 3517 छात्रों को 15 दिन के भीतर 15 बिंदुओं पर जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था। एसआईटी जांच में इन सभी छात्रों की मार्कशीट या तो फर्जी पाई गई या मार्कशीट में किसी प्रकार की छेड़छाड़ की गई थी। इन मार्कशीटों के आधार पर तमाम अभ्यर्थी सहायक अध्यापक पद पर नौकरी कर रहे हैं।

विश्वविद्यालय द्वारा नोटिस को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। इससे पहले त्रिलोक सिंह और 495 अन्य के मामले में हाई कोर्ट ने 20 जनवरी के आदेश में विश्वविद्यालय को यह बताने को कहा था कि उसने किस आधार पर मार्कशीट को फर्जी करार दिया है । इसका कारण नहीं बताया गया है। कोर्ट ने विश्वविद्यालय को कारण स्पष्ट करते हुए हर छात्र को कारण बताओ नोटिस जारी कर सकारण आदेश पारित करने का निर्देश दिया था।

10 दिन में फैसला लेने के लिए कहा गया
हाई कोर्ट ने कहा कि नोटिस पर्याप्त रूप से तामील कराया गया है और 15 दिन का समय भी बीत चुका है। लिहाजा विश्वविद्यालय अब 10 दिन के भीतर इस मामले में निर्णय लेकर अदालत को अवगत कराएं। याचिका पर कोर्ट 10 फरवरी को सुनवाई करेगी।

Source: International

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